इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
गुजरात के बोटाद जिले में एक 17 वर्षीय मुस्लिम लड़के के पुलिस कस्टडी में कथित रूप से टॉर्चर किए जाने का मामला सामने आया है, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया है और अहमदाबाद के अस्पताल में जीवन-मृत्यु की स्थिति में है।
कांग्रेस के विधायक और राज्य कार्य समिति के अध्यक्ष जिग्नेश मेवानी ने इस घटना को ‘लोकतंत्र और मानवता पर एक काला धब्बा’ बताते हुए राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा, “गुजरात सरकार, डीजीपी, गृह सचिव और गृह मंत्री को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। इस अमानवीय कृत्य में शामिल सभी पुलिसकर्मियों, कांस्टेबल से लेकर एसपी तक, पर कस्टोडियल टॉर्चर के आरोप लगाए जाएं।”
परिवार का आरोप है कि 19 अगस्त को बोटाद टाउन पुलिस ने चोरी के शक में लड़के को हिरासत में लिया था। परिवार का कहना है कि उसे बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए नौ दिनों तक अवैध रूप से हिरासत में रखा गया और बर्बर पिटाई और यौन शोषण किया गया, जिसके परिणामस्वरूप उसके गुर्दे फेल हो गए। जब दादा ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, तो उन्हें भी कथित रूप से पीटा गया और छह दिनों तक हिरासत में रखा गया।
हालांकि, बोटाद पुलिस ने लड़के की गिरफ्तारी या हिरासत में लेने से इनकार किया है। जिले के एक अधिकारी ने फोन पर इन आरोपों को खारिज किया और गिरफ्तारी की बात को नकारा।
इस मामले ने विपक्षी दलों और मानवाधिकार संगठनों से राज्य सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग को तेज कर दिया है। मानवाधिकार समूह ‘माइनॉरिटी कोऑर्डिनेशन कमेटी’ ने गुजरात के डीजीपी को पत्र लिखकर पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तत्काल निलंबन की मांग की है और पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित करने की अपील की है।
लड़का वर्तमान में अहमदाबाद के जाइडस अस्पताल में जीवन-मृत्यु की स्थिति में है। परिवार की शिकायत के बावजूद, बोटाद पुलिस ने अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की है।
इस घटना ने गुजरात में पुलिस कस्टडी में हिंसा के मुद्दे को फिर से उजागर किया है, और राज्य सरकार से जवाबदेही की मांग को लेकर दबाव बढ़ा है।