इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
आसाम की राजधानी गुहाटी के पानजाबाड़ी इलाके में स्थित एक मस्जिद के बाहर सूअर के मांस का टुकड़ा फेंके जाने की घटना ने शहर में सनसनी फैला दी। घटना के बाद मुस्लिम समुदाय में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपी मृदुपवन पाठक को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में यह मामला साम्प्रदायिक उकसावे की बजाय व्यक्तिगत बदले से जुड़ा हुआ पाया गया है।
घटना गुरुवार देर रात की बताई जा रही है, जब एक व्यक्ति बाइक से मस्जिद के पास आया और एक थैला फेंककर चला गया। मस्जिद के गेट के बाहर फेंका गया थैला जब सुबह नमाज के वक़्त मिला, तो उसमें कच्चे सूअर का मांस और एक पर्ची बरामद हुई।
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली, जिससे मृदुपवन पाठक की पहचान हुई। आरोपी को तुरंत हिरासत में लेकर पूछताछ की गई।
बरामद थैले में एक नोट भी मिला था जिसमें अंग्रेज़ी और असमिया भाषा में एक महिला का नाम ‘Plabita Das’ और मोबाइल नंबर लिखा था। नोट में “PORK” शब्द को प्रमुखता से दर्शाया गया था। इस आधार पर पुलिस ने प्रेम प्रसंग या व्यक्तिगत दुश्मनी की दिशा में जांच आगे बढ़ाई।
गुवाहाटी पुलिस के अनुसार, मृदुपवन पाठक ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने उक्त महिला से जुड़े पूर्व विवाद के कारण यह हरकत की। जांच से यह भी संकेत मिले हैं कि उसने जानबूझकर महिला को बदनाम करने और सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की नीयत से मस्जिद के बाहर मांस फेंका।
डीसीपी अजय यादव ने बताया “यह प्राथमिक तौर पर एक व्यक्तिगत बदले का मामला है, ना कि साम्प्रदायिक उकसावे का। फिर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए सभी कोणों से जांच जारी है।”
घटना की खबर फैलते ही मस्जिद समिति और स्थानीय मुस्लिम संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया। ऑल असम मुस्लिम स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) ने दोषी पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। हालांकि पुलिस और प्रशासन की तत्परता के कारण स्थिति नियंत्रण में रही और कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई।
आरोपी पर IPC की धारा 295A (धार्मिक भावनाएं भड़काने का प्रयास), 153A (सांप्रदायिक विद्वेष फैलाना) और 427 (संपत्ति को नुकसान पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। दोषी पाए जाने पर उसे 3 से 7 वर्ष की सजा हो सकती है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा।“यह कोई धार्मिक मुद्दा नहीं है। यह एक व्यक्ति की मूर्खतापूर्ण प्रतिक्रिया है जो व्यक्तिगत कारणों से की गई। ऐसी हरकतों की समाज में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।”
सरमा ने मीडिया से संयम बरतने की अपील की और पुलिस से निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया।
गुवाहाटी की यह घटना दिखाती है कि कैसे व्यक्तिगत दुश्मनी, अगर संवेदनशील धार्मिक प्रतीकों से जोड़ दी जाए, तो वह सामाजिक सौहार्द को नुकसान पहुंचा सकती है।
पुलिस की तत्परता से फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन यह घटना प्रशासन और समाज दोनों के लिए एक चेतावनी है कि धार्मिक स्थलों को राजनीति और व्यक्तिगत झगड़ों से दूर रखा जाए।