इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तराखंड के हल्द्वानी में पिछले वर्ष हुए दंगों के मामले में उच्च न्यायालय ने 22 आरोपियों को डिफॉल्ट जमानत प्रदान की है। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया।
पृष्ठभूमि
8 फरवरी 2024 को हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के नाम पर मुस्लिम इलाकों में बुलडोजर चलने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस घटना में छह लोगों की मृत्यु हुई थी और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। पुलिस ने इस मामले में 107 लोगों को गिरफ्तार किया था।
जमानत का आधार
आरोपियों के वकील ने तर्क दिया कि पुलिस निर्धारित 90 दिनों की अवधि में आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रही, जो डिफॉल्ट जमानत का आधार है। निचली अदालत ने पुलिस को अतिरिक्त समय दिया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे नियम विरुद्ध माना और आरोपियों को जमानत प्रदान की।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल
इस मामले में अब तक 77 आरोपी जमानत पर रिहा हो चुके हैं, जिससे पुलिस की जांच प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि पुलिस ने बिना पर्याप्त साक्ष्यों के गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए, लेकिन समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई।
आगे की कार्रवाई
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से पुलिस की जांच प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता पर बल मिलता है। साथ ही, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं में न्यायिक प्रक्रिया का पालन समयबद्ध तरीके से हो।