श्रीनगर हज़रतबल दरगाह विवाद: अशोक चिन्ह की तोड़फोड़ से गरमा सियासत, FIR दर्ज, कई हिरासत में

जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर की ऐतिहासिक हज़रतबल दरगाह पर लगे नवीनीकरण शिलापट्ट पर राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक स्तंभ) की तोड़फोड़ ने कश्मीर की सियासत को गर्मा दिया है। शुक्रवार की नमाज़ के बाद हुई इस घटना का वीडियो वायरल होते ही वक्फ बोर्ड और सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) आमने-सामने आ गए हैं।

पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए FIR दर्ज कर ली है और वीडियो व सीसीटीवी फुटेज के आधार पर कार्रवाई करते हुए अब तक 26 से लेकर 50 लोगों को हिरासत में लिया गया है। प्रशासन ने कहा है कि दोषियों की पहचान कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

वक्फ बोर्ड अध्यक्ष और भाजपा नेता दरख़्शां अंद्राबी ने इस घटना को “आतंकवादी हरकत” करार दिया और आरोप लगाया कि इसमें एनसी के कार्यकर्ता शामिल थे। उन्होंने कहा कि दोषियों पर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) जैसे कड़े प्रावधानों के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। अंद्राबी ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला पर भी व्यक्तिगत हमले किए और दावा किया कि दरगाह के नवीनीकरण कार्यों से एनसी नेताओं को परेशानी हो रही है।

मुख्यमंत्री और एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीक लगाने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया, “दरगाह, मस्जिद, मंदिर या गुरुद्वारा किसी सरकारी दफ़्तर की तरह नहीं है। वहाँ अशोक चिन्ह लगाने की क्या ज़रूरत थी? अगर काम अच्छा है तो लोग बिना शिलापट्ट के भी याद रखते हैं।” उमर ने वक्फ बोर्ड पर संवेदनशीलता की अनदेखी करने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले में माफ़ी मांगनी चाहिए थी।

एनसी नेताओं के अलावा पीडीपी और अन्य धार्मिक-सामाजिक संगठनों ने भी वक्फ बोर्ड की आलोचना की। पीडीपी ने इस कदम को “धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़” बताया और बोर्ड अध्यक्ष की बर्खास्तगी की माँग उठाई। एनसी नेता तनवीर सादिक ने भी कहा कि इस्लाम में मूर्तिपूजा वर्जित है और राष्ट्रीय प्रतीक का दरगाह पर होना धार्मिक आस्था के ख़िलाफ़ है।

हज़रतबल दरगाह कश्मीर की राजनीति और धार्मिक भावनाओं का केंद्र रही है। 1963 में पवित्र अवशेष की चोरी के बाद यहाँ से शुरू हुआ जनांदोलन आज भी कश्मीरी राजनीति की यादों का हिस्सा है। लंबे समय से एनसी इस दरगाह को अपना परंपरागत शक्ति केंद्र मानती रही है, जबकि 2019 के बाद अनुच्छेद 370 हटने के बाद से भाजपा और वक्फ बोर्ड की भूमिका ने विवाद को और गहरा कर दिया है।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि तोड़फोड़ की घटना की निष्पक्ष जांच होगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। फिलहाल पूरे इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए निगरानी तेज़ कर दी गई है।

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