इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भारत-पाकिस्तान के बीच अचानक घोषित युद्ध विराम के बाद देश के राजनीतिक और सामाजिक हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है, वहीं कांग्रेस और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं ने सरकार से पारदर्शिता और न्याय की मांग की है।
तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पाकिस्तान को ‘आतंकिस्तान’ बताते हुए भारतीय सेना के शौर्य को सम्मानित करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि सेना के बलिदान और वीरता पर देश को एकजुट होकर गर्व प्रकट करना चाहिए, और इसके लिए संसद का विशेष सत्र सबसे उचित माध्यम होगा।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने युद्ध विराम की घोषणा को लेकर सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, “यह बहुत ही अप्रत्याशित है कि हमें अमेरिकी राष्ट्रपति से पता चला कि युद्ध विराम हो गया। देश को यह जानने का हक है कि पिछले 5-7 दिनों में भारत ने क्या हासिल किया और क्या खोया। साथ ही देश को यह भी जानने का अधिकार है कि पहलगाम की घटनाओं की सच्चाई क्या है।”
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मुकेश ने भी संघर्ष विराम को एक सकारात्मक पहल बताया लेकिन इसके पीछे की पारदर्शिता और न्याय की प्रक्रिया पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “संघर्ष विराम एक स्वागत योग्य कदम है लेकिन क्या पहलगाम में बेगुनाहों की गई जानों और उसके बाद हुई भयावह घटनाओं के लिए न्याय मिला है? यह सवाल लगातार बना रहेगा।”
फिलहाल केंद्र सरकार की ओर से इन सवालों पर कोई विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह स्पष्ट है कि युद्ध विराम के साथ देश के भीतर राजनीतिक और जनसरोकारों को लेकर बहस तेज हो गई है।