इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक्फ संशोधन विधेयक 2023 को लेकर बिहार की राजनीति में एक नई हलचल शुरू हो गई है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) द्वारा इस विवादित बिल को संसद में समर्थन दिए जाने के बाद मुस्लिम समुदाय के भीतर भारी नाराजगी देखी जा रही है। इसी के चलते पूर्वी चंपारण जिले के ढाका में जदयू के 15 से ज्यादा नेताओं और पदाधिकारियों ने पार्टी से सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।
इस्तीफ़ा देने वालों में गौहर आलम-प्रखंड अध्यक्ष युवा जदयू ढाका,मो. मुर्तुजा – कोषाध्यक्ष – नगर परिषद ढाका,मो० शबीर आलम- प्रखण्ड उपाध्यक्ष युवा जदयू ढाका,मौसिम आलम- नगर अध्यक्ष अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ढाका,जफीर खान नगर सचिव ढाका,मो. आलम, नगर महासचिव ढाका,मो. तुरफैन प्रखंड महासचिव युवा जदयू ढाका,मो. मोतिन नगर उपाध्यक्ष ढाका,सुफैद अनवर, करमावा पंचायत युवा अध्यक्ष,मुस्तफा कमाल (अफरोज) युवा प्रखंड. उपाध्यक्ष,फिरोज सिद्धीको प्रखंड सचिव युवा जदयू ढाका,सलाउद्दीन अंसारी – नगर महासचिव ढाका,सलीम अंसारी नगर महासचिव ढाका,एकरामुल हक, नगर सचिव ढाका,सगीर अहमद – नगर सचिन ढाका शामिल हैं
क्यों है वक्फ संशोधन विधेयक पर विवाद?
वक्फ संशोधन विधेयक 2023 को केंद्र सरकार ने संसद में पेश किया था, जिसमें वक्फ संपत्तियों की निगरानी, हस्तांतरण और सरकारी नियंत्रण को और सख्त करने के प्रावधान हैं। मुस्लिम संगठनों और जानकारों का मानना है कि यह बिल वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कमजोर करता है और मुसलमानों की धार्मिक व सामाजिक संपत्तियों को सरकार के सीधे नियंत्रण में ले जाने का रास्ता खोलता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, व अन्य मुस्लिम संगठनों ने इस बिल का खुलकर विरोध किया है।
जदयू के समर्थन से आहत अल्पसंख्यक नेता
ढाका में इस्तीफा देने वाले नेताओं ने साफ कहा कि वे एक ऐसी पार्टी में अब नहीं रह सकते, जो मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आने वाले बिल को संसद में समर्थन देकर अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अनदेखी करे।
गौहर आलम, जो अब तक प्रखंड युवा जदयू के अध्यक्ष थे, उन्होंने कहा “हमने नीतीश कुमार को धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना था, लेकिन वक्फ बिल को समर्थन देकर उन्होंने मुसलमानों की पीठ में छुरा घोंपा है। यह महज बिल नहीं, हमारे वजूद और धार्मिक आज़ादी पर हमला है।”
राजनीतिक असर और संभावित आगे की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह इस्तीफा महज एक जिला या क्षेत्र की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि इसका असर पूरे बिहार में मुस्लिम बहुल इलाकों में दिख सकता है।