
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों और प्रशासन के बीच तनाव गहराता जा रहा है। सोमवार रात से शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने मंगलवार सुबह करीब 5 बजे विश्वविद्यालय कैंपस में कार्रवाई करते हुए 10 से अधिक छात्रों को हिरासत में लिया। छात्रों ने इसे उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है, जबकि प्रशासन और पुलिस ने इसे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बताया है।
घटना का विवरण
यह विरोध प्रदर्शन विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दो पीएचडी छात्रों के खिलाफ की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई के विरोध में शुरू हुआ। इन छात्रों पर 2019 के सीएए विरोधी प्रदर्शनों की वर्षगांठ पर कार्यक्रम आयोजित करने का आरोप था, जिसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
छात्र संगठनों का कहना है कि यह कार्रवाई छात्रों की सक्रियता को दबाने और लोकतांत्रिक आवाज़ों को कुचलने का प्रयास है। विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने प्रशासन से नोटिस को रद्द करने और कैंपस में लोकतांत्रिक माहौल बहाल करने की मांग की।
पुलिस की कार्रवाई
विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुरोध पर पुलिस ने मंगलवार तड़के कैंपस में प्रवेश किया और प्रदर्शन कर रहे छात्रों को हिरासत में ले लिया। पुलिस ने दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय कैंटीन सहित विश्वविद्यालय की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। कैंपस के बाहर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, जिसमें अर्धसैनिक बल और दंगा नियंत्रण वाहन भी शामिल हैं।
छात्रों की प्रतिक्रिया
ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और अन्य छात्र संगठनों ने पुलिस की कार्रवाई और प्रशासन के रवैये की कड़ी निंदा की है।
AISA की राष्ट्रीय अध्यक्ष नेहा ने कहा,
“छात्रों को तड़के 5 बजे जबरन हिरासत में लिया गया। यह छात्रों के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। हम हिरासत में लिए गए छात्रों की तुरंत रिहाई और प्रशासन की कार्रवाई को वापस लेने की मांग करते हैं।”
एक छात्र ने कहा “हमारे विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे। प्रशासन और पुलिस का यह कदम हमें डराने और हमारी आवाज को दबाने के लिए है।”
प्रशासन का पक्ष
विश्वविद्यालय प्रशासन ने बयान जारी कर कहा कि प्रदर्शनकारी छात्रों ने कक्षाओं और पुस्तकालय के संचालन में बाधा पहुंचाई। उन्होंने सुरक्षा के लिए पुलिस की मदद मांगी।
प्रशासन ने कहा,
“हमने प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने शैक्षणिक वातावरण को बाधित करना जारी रखा। हमारी प्राथमिकता विश्वविद्यालय में शांति और सामान्य स्थिति बनाए रखना है।”
जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का यह संघर्ष छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों और प्रशासन की अनुशासनात्मक नीतियों के बीच संतुलन की कमी को उजागर करता है। छात्रों की मांग है कि उनके अधिकारों का सम्मान किया जाए और प्रशासन अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करे।
जामिया में बढ़ते इस तनाव ने शिक्षा के माहौल पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह जरूरी है कि प्रशासन और छात्र आपसी संवाद से इस विवाद का समाधान निकालें।