किसकी दिल्ली, फैसला कल।

दिल्ली में कल 5 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। इस चुनाव में आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। जहां आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार सरकार बनाने के लिए मैदान में है, वहीं भाजपा इस बार सत्ता पर काबिज होने की पूरी कोशिश में जुटी है। कांग्रेस भी अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे सत्ता की कुर्सी सौंपती है।

पिछले तीन चुनावों में बड़ी जीत दर्ज करने वाली आम आदमी पार्टी के लिए इस बार राहें आसान नहीं हैं। कथित शराब घोटाले में उसके कई शीर्ष नेताओं की गिरफ्तारी से पार्टी की छवि प्रभावित हुई है। इसके अलावा, दस साल की सत्ता के बाद एंटी-इनकंबेंसी का भी सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में सीवर सफाई, खराब सड़कें और यमुना नदी की गंदगी जैसे मुद्दे भी आप के लिए चुनौती बने हुए हैं।

हालांकि, पार्टी की जनकल्याणकारी योजनाएं—जैसे मुफ्त बिजली-पानी, मोहल्ला क्लीनिक और महिलाओं को मुफ्त बस यात्रा—अब भी उसके प्रमुख वोट बैंक, खासकर महिलाओं और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों के बीच असरदार साबित हो सकती हैं।

भाजपा पिछले तीन विधानसभा चुनावों से दिल्ली में हार झेल रही है, लेकिन इस बार पार्टी पूरे जोर-शोर से चुनावी मैदान में उतरी है। हालांकि, पार्टी के पास अब भी कोई मजबूत मुख्यमंत्री चेहरा नहीं है, जिससे वह अरविंद केजरीवाल को सीधी चुनौती दे सके। भाजपा ने इस बार झुग्गी बस्तियों में विशेष अभियान चलाया है और महिलाओं के लिए हर महीने आर्थिक सहायता का वादा किया है।

इसके अलावा, एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर भाजपा के लिए मददगार साबित हो सकता है। लेकिन झुग्गी और महिला वोट बैंक को साधना अभी भी भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

कांग्रेस पिछले दो चुनावों में हाशिए पर रही है, लेकिन इस बार वह अपने खोए जनाधार को वापस पाने की पूरी कोशिश कर रही है। पार्टी ने रणनीतिक रूप से कुछ सीटों पर फोकस किया है, जहां उसे मुस्लिम वोटों का समर्थन मिलने की उम्मीद है।
अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली और दिल्ली दंगों के दौरान उनके रुख को लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है। इस नाराजगी का फायदा कांग्रेस को मिल सकता है, खासकर पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली की सीटों पर।

पिछले कई चुनावों से मुस्लिम समुदाय आम आदमी पार्टी का समर्थन करता आ रहा था, लेकिन इस बार कई सीटों पर मुस्लिम वोटर कांग्रेस के पक्ष भी में गोलबंद हो रहे हैं। इसके अलावा, ओखला और मुस्तफाबाद जैसे इलाकों में एआईएमआईएम भी मुस्लिम वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। यदि मुस्लिम वोट बंटते हैं, तो इसका सीधा फायदा भाजपा को मिल सकता है।

पिछले दो विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी ने क्लीन स्वीप किया था, लेकिन इस बार मुकाबला कहीं ज्यादा कड़ा नजर आ रहा है। चुनाव परिणाम बहुत नजदीकी हो सकते हैं, जिससे पोस्ट-पोल राजनीतिक हलचलें भी देखने को मिल सकती हैं।

राजनीति संभावनाओं का खेल है और कई बार अप्रत्याशित नतीजे देखने को मिलते हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आम आदमी पार्टी लगातार चौथी बार सरकार बना पाएगी या भाजपा इस बार सत्ता में वापसी करेगी, या फिर कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने में सफल होगी।
चुनाव परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे, जिसके बाद दिल्ली की राजनीति की दिशा स्पष्ट होगी।

(ये स्टोरी मानू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष मुहम्मद फैजान ने लिखी है)

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