
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के हाटा नगर में स्थित मदनी मस्जिद पर प्रशासन द्वारा की गई बुलडोजर कार्रवाई के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है। मंगलवार, 11 फरवरी 2025 को समाजवादी पार्टी (सपा) के 18 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव के नेतृत्व में मस्जिद स्थल का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया।
प्रशासन ने दावा किया है कि मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से सरकारी जमीन पर किया गया था, जिसके चलते यह कार्रवाई की गई। वहीं, मस्जिद कमेटी ने इस कार्रवाई को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन बताते हुए गलत ठहराया है। उनका कहना है कि मस्जिद की जमीन का बैनामा 29 डिसमिल का है, जिसमें से 28 डिसमिल पर मस्जिद का निर्माण हुआ है। कमेटी के अनुसार, प्रशासन ने बिना पूर्व सूचना के 9 फरवरी की सुबह मस्जिद के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया।
दौरे के दौरान लाल बिहारी यादव ने मीडिया से बातचीत में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, “सरकार की मंशा थी कि कुशीनगर में दंगा भड़के, लेकिन यहां के मुस्लिम समाज ने बेहद समझदारी का सबूत देते हुए सरकार की मंशा पर पानी फेर दिया है। भाजपा की ये सरकार न तो हाईकोर्ट का हुक्म मानती है, और न ही सुप्रीम कोर्ट की इज्जत करती है। सरकार संविधान के मुताबिक चलने के बजाए तानाशाही कर रही है।”
उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद की जमीन का सीमांकन बैनामे के बाद तहसील की टीम द्वारा किया गया था, ऐसे में इसे अवैध कैसे माना जा सकता है। लाल बिहारी यादव ने प्रशासन पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सपा इस मुद्दे को विधानसभा और विधान परिषद दोनों में उठाएगी।
मस्जिद कमेटी ने प्रशासन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि 32 डिसमिल जमीन जाकिर हुसैन और अजमतुन निशा के नाम से खरीदी गई थी, जिसमें से 30 डिसमिल पर मस्जिद बनाई गई है। बाकी 2 डिसमिल जमीन अभी भी उनके ही नाम पर है। उनका कहना है कि विवादित जमीन बाउंड्री के बाहर है, जिसका मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं है।
सपा प्रतिनिधिमंडल ने मस्जिद के पक्षकारों से मुलाकात कर विस्तृत जानकारी हासिल की और कहा कि वे इस मामले की रिपोर्ट सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को सौंपेंगे। प्रतिनिधिमंडल में पूर्व मंत्री ब्रह्मशंकर त्रिपाठी, राधेश्याम सिंह, पूर्व सांसद बालेश्वर यादव सहित अन्य वरिष्ठ नेता शामिल थे।
इस घटना के बाद क्षेत्र में तनाव की स्थिति बनी हुई है, हालांकि मुस्लिम समुदाय ने शांति और समझदारी का परिचय देते हुए किसी भी अप्रिय घटना को टाल दिया है। प्रशासन और मस्जिद कमेटी के बीच विवाद के चलते यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है, और आने वाले दिनों में इसके और अधिक तूल पकड़ने की संभावना है।
इस बीच, सपा ने स्पष्ट किया है कि वह इस मुद्दे को सदन में प्रमुखता से उठाएगी और सरकार की कार्रवाई पर सवाल खड़े करेगी। मस्जिद कमेटी ने भी कानूनी लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया है और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
इस घटना से क्षेत्र में राजनीतिक और सामाजिक माहौल गर्मा गया है, और सभी की निगाहें अब इस मामले की आगामी कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाओं पर टिकी हैं।
इस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए, आप नीचे दिया गया वीडियो देख सकते हैं