
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार के गया जिले में एक एंबुलेंस कर्मी की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिसके बाद जिले के सभी एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। घटना बथानी पीएचसी क्षेत्र के ढकनी बीह गांव की है, जहां एंबुलेंस चालक और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) की बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे ईएमटी की मौत हो गई।
*क्या था मामला?
मृतक ईएमटी कुंदन कुमार और एंबुलेंस चालक मुन्ना कुमार शाम करीब 8:30 बजे एक महिला मरीज को लेकर बथानी पीएचसी जा रहे थे। गाड़ी के बैक करने के दौरान रास्ता संकीर्ण और खराब होने के कारण एक चक्का गड्ढे में चला गया, जिससे एंबुलेंस झुक गई। इस दौरान कुछ स्थानीय लोग भड़क गए और चालक और ईएमटी के साथ मारपीट शुरू कर दी। कुंदन कुमार, जो मरीज को सलाइन चढ़ा रहे थे, भी भीड़ के शिकार हो गए और लाठी-डंडों से बेरहमी से पीटे गए। इस हमले में कुंदन कुमार की मौत हो गई, जबकि चालक मुन्ना कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए।
*हड़ताल पर गए एंबुलेंस कर्मी
इस घटना के बाद, जिले के सभी 102 एंबुलेंस कर्मी मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन करने लगे। एंबुलेंस कर्मियों का आरोप है कि कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना सेवा दी थी, लेकिन अब उनके साथी की हत्या कर दी गई। एंबुलेंस संघ के कार्यकारी अध्यक्ष अजय कुमार सिंह ने कहा कि एंबुलेंस कर्मियों के प्रति इस तरह का व्यवहार बिल्कुल अस्वीकार्य है और जब तक दोषियों पर कार्रवाई नहीं की जाती, वे हड़ताल पर बने रहेंगे।
*परिवार ने की इंसाफ की मांग
कुंदन कुमार के पिता सुबोध कुमार ने रोते हुए कहा, “मेरे बेटे ने कभी किसी का नुकसान नहीं किया, वह हमेशा अपने दायित्वों को निभाता था। उसे क्यों मारा गया, समझ नहीं आता।” उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और मुआवजा की मांग की है। परिवार का आरोप है कि एंबुलेंस कर्मी ने मरीज को छोड़कर भागने का प्रयास नहीं किया, बल्कि उसने मरीज को इलाज देने में मदद की, फिर भी उसे बेरहमी से पीटा गया।
*पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और 7 लोगों को नामजद किया है। बथानी डीएसपी प्रकाश कुमार ने बताया कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और दोषियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।
*एंबुलेंस संघ की मांग
एंबुलेंस संघ के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा, “हमारी मांग है कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए, और परिजनों को 25 लाख रुपये का मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी दी जाए।” एंबुलेंस कर्मियों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक शव को नहीं लेने का फैसला किया है, जब तक उनके सभी मांगें पूरी नहीं होतीं।
यह घटना न केवल एंबुलेंस कर्मियों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है, बल्कि पूरे जिले में आक्रोश का माहौल बना हुआ है। एंबुलेंस कर्मियों ने अपनी सुरक्षा और अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाते हुए प्रशासन से न्याय की मांग की है।