इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत 5 से 9 मार्च तक बिहार दौरे पर हैं। इस दौरान वे मुजफ्फरपुर, सुपौल और अन्य जिलों में संघ कार्यकर्ताओं से मिल रहे हैं और संगठन की गतिविधियों की समीक्षा कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह दौरा बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों और संघ की रणनीति से जुड़ा हो सकता है।
मुजफ्फरपुर में संघ कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें
5 मार्च को मोहन भागवत मुजफ्फरपुर पहुंचे, जहां उन्होंने संघ कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि इस बैठक में बिहार में संघ की गतिविधियों को तेज करने और हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई। भागवत ने कार्यकर्ताओं से संगठित समाज के निर्माण और संघ की विचारधारा को मजबूत करने की अपील की।
सुपौल में सरस्वती विद्या मंदिर का उद्घाटन
6 मार्च को भागवत सुपौल जिले के वीरपुर जाएंगे, जहां वो विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। इस मौके पर उन्होंने कहा,इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ता मौजूद रहनेगे।
अन्य जिलों में भी संघ की बैठकें जारी
मुजफ्फरपुर और सुपौल के अलावा, भागवत अन्य जिलों में भी संघ की बैठकों में हिस्सा ले रहे हैं। संघ सूत्रों के मुताबिक, इन बैठकों में बिहार में संघ की भूमिका, हिंदुत्व के विस्तार और भाजपा की चुनावी रणनीति पर मंथन हो रहा है।
नीतीश कुमार और भाजपा पर सियासी चर्चाएं
संघ प्रमुख का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब बिहार की राजनीति बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है। नीतीश कुमार की NDA में वापसी के बाद भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले संघ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि हिंदुत्व और राष्ट्रीयता का मुद्दा बिहार में भाजपा के लिए लाभकारी साबित हो।
संघ की बढ़ती सक्रियता और भविष्य की रणनीति
भागवत के इस दौरे को संघ की बिहार में बढ़ती सक्रियता के रूप में देखा जा रहा है। संघ 2025 के चुनावों से पहले भाजपा को सांगठनिक रूप से मजबूत करने और अपनी विचारधारा को और प्रभावी बनाने में जुटा है।
9 मार्च को मोहन भागवत बिहार दौरा समाप्त कर नागपुर लौट जाएंगे, लेकिन उनके इस दौरे ने बिहार की राजनीति में हलचल तेज कर दी है। यह देखना दिलचस्प होगा कि संघ की यह सक्रियता भाजपा और बिहार की राजनीति पर क्या असर डालती है।