इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
मोतिहारी के मठिया ज़रात में शुक्रवार को ‘तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़ कांफ्रेंस’ (Waqf Protection Conference) का ऐतिहासिक आयोजन किया गया। इस भव्य विरोध-प्रदर्शन की अध्यक्षता अमीर-ए-शरीअत बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल, और खानकाहे रहमानी, मुंगेर के सज्जादा नशीन हज़रत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की।
इस सम्मेलन का मूल उद्देश्य भारत सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ जनजागरण पैदा करना और वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए मुस्लिम समुदाय को संगठित करना था। साथ ही, इस कार्यक्रम ने मुस्लिम एकता और सामाजिक जागरूकता का संदेश भी दिया।
कार्यक्रम में विभिन्न जिलों से आए उलमा, दानिशवर, सामाजिक कार्यकर्ता, संगठन प्रतिनिधि और आम नागरिकों की भारी भीड़ देखने को मिली। सभी वक्ताओं ने वक्फ संपत्तियों पर सरकारी हस्तक्षेप और अतिक्रमण को संविधान और अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन करार दिया।
अपने भावुक और ओजस्वी भाषण में मौलाना फैसल रहमानी ने कहा,
“वक्फ संपत्तियां मुसलमानों की धार्मिक, शैक्षिक और सामाजिक धरोहर हैं। इनका संरक्षण केवल धार्मिक कर्तव्य ही नहीं, बल्कि संवैधानिक अधिकार भी है। हमें शांतिपूर्ण और संगठित रूप से इसके लिए संघर्ष करना होगा।”
ज्ञात हो कि वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगते हुए अंतरिम आदेश में वक्फ संपत्तियों में बदलाव पर रोक लगाई है।
सम्मेलन के अंत में यह निर्णय लिया गया कि यह केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि एक लंबे आंदोलन की शुरुआत है। जल्द ही अन्य राज्यों में भी इसी तरह की ‘तहफ़्फ़ुज़े औक़ाफ़ कांफ्रेंस’ आयोजित की जाएंगी ताकि यह मुहिम देशभर में फैले और सरकार तक एक मज़बूत संदेश पहुंचे।
कांफ्रेंस के समापन पर सभी समुदायों से यह अपील की गई कि वे इस मुद्दे को केवल मुस्लिम समुदाय का नहीं, बल्कि संविधान और न्याय का सवाल मानें। सोशल मीडिया पर इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं।