इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
दिल्ली पुलिस पर एक बार फिर गंभीर आरोप लगे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार संगठनों ने दावा किया है कि दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के झज्जर जिले के एक ईंट भट्टे पर छापा मारकर वहां काम कर रहे मुस्लिम मजदूरों को ‘बांग्लादेशी अवैध घुसपैठिया’ बताकर गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया और उन्हें प्रताड़ित किया।
इस कार्रवाई को लेकर कोलकाता स्थित मानवाधिकार संगठन MASUM (मानवाधिकार सुरक्षा मंच) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को शिकायत सौंपी है और पूरे घटनाक्रम की न्यायिक जांच की मांग की है।
25 जून 2025 की शाम दिल्ली पुलिस की एक टीम ने हरियाणा के झज्जर ज़िले के मझरा गांव स्थित बिकाश ब्रिक किल्न (ईंट भट्टा) पर छापेमारी की। पुलिस टीम में शालीमार बाग थाने के अधिकारी शामिल थे। इस दौरान कुल आठ मुस्लिम मजदूरों को ‘अवैध बांग्लादेशी नागरिक’ बताते हुए हिरासत में ले लिया गया।
गिरफ्तार किए गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे,जिनमें समसुल हक (48 वर्ष),रेजाउल हक (43 वर्ष),रबिउल हक,रशीदा बेगम (26 वर्ष),रेजाउल (15 वर्ष), रोमन (11 वर्ष),रोमाना परवीन (6 वर्ष) के नाम है, उनमें जाहिरुल मिया भी है जिन्हें दो दिन बाद कथित रूप से प्रताड़ना के बाद छोड़ दिया गया।
मानवाधिकार संगठन MASUM ने आरोप लगाया है कि गिरफ्तार सभी लोग भारतीय नागरिक हैं और वे कानूनी रूप से भट्टे में मज़दूरी कर रहे थे। फिर भी दिल्ली पुलिस ने उन्हें केवल उनके मुस्लिम नामों और भाषा के आधार पर ‘बांग्लादेशी’ घोषित कर दिया।
शिकायत में कहा गया है कि पुलिस ने किसी भी तरह की नागरिकता की पुष्टि किए बिना सभी को हिरासत में लिया और उनके पास से पैसे, फोन और ज़रूरी दस्तावेज़ छीन लिए। सबसे गंभीर आरोप यह है कि जाहिरुल मिया को हिरासत में शारीरिक प्रताड़ना दी गई और उनसे ज़बरन हस्ताक्षर करवाए गए
MASUM ने NHRC को सौंपे अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि “यह कार्रवाई सांप्रदायिक पूर्वाग्रह से प्रेरित है। ये लोग दिहाड़ी मज़दूर हैं, अपराधी नहीं। पुलिस ने न केवल कानून का उल्लंघन किया है, बल्कि धार्मिक आधार पर भेदभाव भी किया है।”
पिछले कुछ वर्षों में ‘बांग्लादेशी घुसपैठियों’ के नाम पर भारत के अलग-अलग राज्यों में मुस्लिम प्रवासी मजदूरों की गिरफ्तारियों का ट्रेंड लगातार बढ़ा है
मई 2025: हरियाणा के सोनीपत में 46 लोगों को अवैध बांग्लादेशी बताकर हिरासत में लिया गया। जून 2025: दिल्ली के नॉर्थ वेस्ट ज़ोन से 66 लोगों को इसी आधार पर उठाया गया! अप्रैल 2025: राजस्थान में भी ऐसी ही कार्रवाई में 13 मजदूर पकड़े गए थे।
छोड़े गए मजदूर जाहिरुल मिया ने आरोप लगाया कि उन्हें दो दिन तक थाने में बिना वजह पीटा गया, खाना नहीं दिया गया और धमकाया गया कि अगर उन्होंने ‘बांग्लादेशी होने’ की बात नहीं मानी, तो ‘गायब’ कर दिए जाएंगे।
रशीदा बेगम ने बताया कि उनके तीन बच्चों को भी जबरन गाड़ी में बैठाया गया और वे अभी तक हिरासत में हैं। उनके अनुसार, उनके पास काम के वैध पहचान पत्र भी थे, जिन्हें जब्त कर लिया गया।