इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
भोपाल के रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (पूर्व में हबीबगंज) पर ड्यूटी पर तैनात आरपीएफ हेड कांस्टेबल नज़र दौलत खान पर हमले के मामले में पुलिस ने तीनों आरोपियों—दिलीप अहिरवार, अमन यादव और जितेंद्र यादव—को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने आरोपियों का जुलूस निकाला, जिसमें उन्हें सिर झुकाकर “मारपीट करना पाप है, पुलिस हमारी बाप है” जैसे नारे लगवाए गए।
घटना का विवरण
घटना 26 अप्रैल की रात करीब 1:30 बजे की है, जब कांस्टेबल खान ने स्टेशन परिसर में एक कार में शराब पी रहे युवकों को रोका। इस पर युवकों ने उनके साथ बहस शुरू कर दी, जो जल्द ही हिंसक रूप ले ली। आरोपियों ने न केवल खान की वर्दी फाड़ दी, बल्कि उन्हें धार्मिक आधार पर गालियाँ भी दीं और शारीरिक रूप से हमला किया। इस दौरान दो आरोपी और एक महिला मौके से फरार हो गए, जबकि एक आरोपी जितेंद्र यादव को मौके पर ही पकड़ लिया गया।
कानूनी कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 196 के तहत मामला दर्ज किया है, जो धर्म, जाति या भाषा के आधार पर वैमनस्य फैलाने से संबंधित है। पुलिस अधीक्षक लोढ़ा ने बताया कि आरोपियों ने जानबूझकर धार्मिक रूप से आपत्तिजनक टिप्पणियाँ कीं और कांस्टेबल की वर्दी फाड़ी। इस मामले में विशेष जीआरपी टीम गठित की गई थी, जिसने आरोपियों को गिरफ्तार किया।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस घटना ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेताओं ने मध्य प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाए हैं। एमपी कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने हमले की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के शासन में अपराधियों का मनोबल बढ़ा है और सांप्रदायिक नफरत को बढ़ावा मिला है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें आरोपी कांस्टेबल खान पर हमला करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो में पुलिस द्वारा आरोपियों का जुलूस निकालते हुए और नारे लगवाते हुए भी देखा जा सकता है।
यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाती है, बल्कि समाज में बढ़ती सांप्रदायिकता और पुलिसकर्मियों की सुरक्षा को लेकर भी चिंता पैदा करती है। पुलिस की त्वरित कार्रवाई और आरोपियों की गिरफ्तारी सराहनीय है, लेकिन इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए समाज में जागरूकता और सहिष्णुता बढ़ाने की आवश्यकता है।