निसार के ज़रिए पृथ्वी की निगरानी:चार्वी अरोड़ा का अक्षता कृष्णमूर्ति से इंटरव्यू

(अक्षता कृष्णमूर्ति से जानिए निसार के पीछे के विज्ञान, अभियांत्रिकी और साझेदारियों के पहलू और यह भी कि यह मिशन पृथ्वी की बदलती प्रणालियों की हमारी समझ को कैसे बेहतर बनाएगा।)

पृथ्वी पर हो रहे परिवर्तनों की सटीक और समयानुकूल जानकारी खेती से लेकर प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन तक हर क्षेत्र के लिए अनिवार्य है। यहीं पर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) मिशन—जो अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन (नासा) तथा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक पृथ्वी-अवलोकन रडार उपग्रह है—हमारे ग्रह में हो रहे परिवर्तनों की निगरानी के लिए सबसे उन्नत उपकरणों में से एक है।

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (जेपीएल) की वैज्ञानिक अक्षता कृष्णमूर्ति निसार मिशन के “साइंस फेज़ लीड” के रूप में कार्य कर रही हैं, और इस परियोजना को आगे बढ़ाने वाले प्रमुख चेहरों में से एक हैं। विज्ञान, इंजीनियरिंग और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को जोड़ते हुए उनका कार्य खाद्य सुरक्षा, आपदा प्रतिक्रिया और पर्यावरणीय प्रबंधन में सुधार के प्रयासों को समर्थन देता है, जिससे भारत और अमेरिका दोनों में समुदायों को लाभ मिल रहा है।

अक्षता कृष्णमूर्ति के साथ इंटरव्यू के प्रमुख अंश:

आपने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और पृथ्वी अवलोकन में कॅरियर बनाने का निर्णय कैसे लिया, और आपकी यात्रा नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी तक कैसे पहुंची?

भारत में पली-बढ़ी और 2000 के दशक की शुरुआत में टीवी पर स्पेस शटल लॉन्च देखने से यह जिज्ञासा पैदा हुई कि पृथ्वी के परे क्या है, लेकिन साथ ही साथ यह समझने की भी इच्छा जागी कि हमारा अपना ग्रह कैसे काम करता है। वह शुरुआती चिंगारी धीरे-धीरे उस तकनीक में गहरी रुचि में बदल गई जो मानव ज्ञान की सीमाओं को आगे बढ़ा सकती है। मैंने भारत में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बैचलर की पढ़ाई की और फिर अमेरिका में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर्स और पीएच.डी. की। अंतरिक्ष मिशनों पर काम करने की तीव्र इच्छा के चलते, मैंने एमईटी में पीएच.डी. के दौरान अंतरिक्ष प्रणालियों और उपकरण विकास में विशेषज्ञता हासिल की और नासा के दो अंतरिक्ष मिशनों पर अपने डॉक्टरेट शोध प्रबंध के तहत काम करने का अविश्वसनीय अवसर मिला। नासा जेपीएल तक की मेरी यात्रा वर्षों के व्यावहारिक शोध, निरंतर प्रयास और उस अटूट दृष्टि से संभव हुई कि मैं उन मिशनों का हिस्सा बनूं जिनका वास्तविक दुनिया में प्रभाव हो। आज मैं आभारी हूं कि मैं निसार जैसे मिशनों पर काम कर रही हूं, जो विज्ञान, इंजीनियरिंग और वैश्विक सहयोग को जोड़ते हैं और दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए लाभदायक सिद्ध होते हैं।

क्या आप निसार मिशन के बारे में मुख्य बातें बता सकती हैं और पृथ्वी अवलोकन के लिए इसकी प्रासंगिकता क्या है?

निसार अपनी तरह की पहली वेधशाला है जो अंतरिक्ष से पृथ्वी को व्यवस्थित रूप से मैप करती है। यह दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी—एल-बैंड और एस-बैंड—का उपयोग करके हमारी पृथ्वी की सतह में होने वाले परिवर्तनों को अभूतपूर्व विस्तार और निरंतरता के साथ मापेगी। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी की सतह में सूक्ष्म परिवर्तनों का पता लगाना है जो पारिस्थितिकी तंत्र में गड़बड़ी, बर्फ की चादरों का ढहना, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन जैसी घटनाओं का संकेत दे सकते हैं। यह मिशन वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और समुदायों के लिए परिवर्तनकारी डेटा प्रदान करेगा।

भारत और अमेरिका के लिए निसार के डेटा के कुछ संभावित व्यावहारिक उपयोग क्या हो सकते हैं?

पृथ्वी की सतह में सूक्ष्म परिवर्तनों को दर्ज करने की क्षमता निसार को एक अमूल्य उपकरण बना देती है।इस उपग्रह के वन क्षेत्रों, आर्द्र भूमियों, कृषि क्षेत्रों और मिट्टी में नमी की निगरानी की क्षमता खाद्य और जल सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। निसार के डेटा से भूकंप, ज्वालामुखी, भूस्खलन और तटीय प्रक्रियाओं जैसे कटाव की गतिशीलता को बेहतर ढंग से समझा जा सकेगा। यह जानकारी स्थानीय और क्षेत्रीय सरकारों को बुनियादी ढांचे, रीयल एस्टेट सुरक्षा और सामुदायिक योजना पर सूचित निर्णय लेने में सहायता देगी

निसार पर भारत-अमेरिका सहयोग को देखते हुए, क्या आप अंतरिक्ष अनुसंधान में इस तरह की अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की ताकत को उजागर कर सकती हैं?

मेरे विचार में, निसार जैसी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां एक-दूसरे की पूरक क्षमताओं का लाभ उठाती हैं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण को व्यापक बनाती हैं और अंतरिक्ष-आधारित अवलोकनों और डेटा तक पहुंच बढ़ाती हैं। वे दीर्घकालिक सहयोग को बढ़ावा देती हैं और संसाधनों तथा ज्ञान के साझाकरण को संभव बनाती हैं। निसार जैसे मिशन एक अधिक मजबूत ज्ञान पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं और यह दर्शाते हैं कि विज्ञान और इंजीनियरिंग वैश्विक समस्याओं को हल करने के लिए हमें एक साथ कैसे ला सकते हैं।

तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के युग में, नासा-जेपीएल कैसे अग्रणी बना रहता है और नई तकनीकों व कार्यप्रणालियों को विकसित करता है?

मेरे अनुभव में, जेपीएल की संस्कृति में नवाचार निहित है। निसार जैसे मिशन दशकों के बुनियादी अनुसंधान से जन्म लेते हैं। हम अनुसंधान और विकास में लगातार निवेश करते हैं, विभिन्न विषयों में कार्य करते हैं और विश्वविद्यालयों, सरकारी एजेंसियों और वाणिज्यिक कंपनियों के साथ मिलकर काम करते हैं। हम हमेशा भविष्य की ओर देखते हैं, और ऐसी तकनीकों का विकास करते हैं जो एक या दो दशक बाद के मिशनों का समर्थन कर सकें।

पृथ्वी अवलोकन और अंतरिक्ष अन्वेषण में कौन से उभरते रुझान आपको रोमांचक लगते हैं?

मैं विशेष रूप से पृथ्वी अवलोकन को एआई के साथ एकीकृत करने को लेकर उत्साहित हूं, जिससे बड़े पैमाने पर वास्तविक समय की अंतर्दृष्टि मिल सकेगी। अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में, मैं और अधिक ग्रहों के बीच के मिशनों को लेकर उत्साहित हूं, जो स्वायत्त प्रणालियों और चंद्रमा तथा मंगल ग्रह की खोज के लिए मानव-रोबोट सहयोग पर आधारित होंगे। यह अंतरिक्ष अन्वेषण में कार्य करने के लिए अत्यंत रोमांचक समय है।

साभार: स्पैन ( स्पैन के लिए चार्वी अरोड़ा द्वारा लिया गया इंटरव्यू)

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