ब्रिटिश-भारतीय प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द, भारत सरकार ने ‘भारत विरोधी गतिविधियों’ का आरोप लगाया

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

ब्रिटेन स्थित कश्मीरी पंडित शिक्षाविद प्रोफेसर निताशा कौल का ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड भारत सरकार ने रद्द कर दिया है। सरकार ने उन पर ‘भारत विरोधी गतिविधियों’ में संलिप्तता का आरोप लगाया है। कौल ने इस कदम को ‘ट्रांसनेशनल रिप्रेशन’ (TNR) का उदाहरण बताते हुए इसे अपनी शोध कार्यों के लिए दंडित किए जाने के रूप में देखा है।

भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि कौल ने “भारत विरोधी गतिविधियों में भाग लिया है, जो दुर्भावना और तथ्यों या इतिहास की पूर्ण अनदेखी पर आधारित हैं।” आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि कौल ने “अंतरराष्ट्रीय मंचों और सोशल मीडिया पर अपनी लेखनी, भाषणों और पत्रकारिता गतिविधियों के माध्यम से भारत और उसकी संस्थाओं को भारत की संप्रभुता के मुद्दे पर नियमित रूप से निशाना बनाया है।”

यह कदम ऐसे समय में आया है जब कौल ने 2019 में अमेरिकी कांग्रेस के एक पैनल के समक्ष कश्मीर में मानवाधिकारों की स्थिति पर गवाही दी थी। इसके बाद, फरवरी 2024 में, कर्नाटक सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने भारत आई कौल को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ही वापस भेज दिया गया था।

कौल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आज मुझे अपना OCI कार्ड रद्द करने का नोटिस मिला। यह मोदी शासन की अल्पसंख्यक-विरोधी और लोकतंत्र विरोधी नीतियों पर मेरी शोध कार्यों के लिए दंडित करने का एक दुर्भावनापूर्ण, प्रतिशोधात्मक और क्रूर उदाहरण है।”

हालांकि भारत सरकार को OCI कार्ड रद्द करने का अधिकार है, लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने पहले कहा है कि OCI कार्डधारकों के अधिकारों को मनमाने तरीके से नहीं छीना जा सकता और उन्हें अपनी बात रखने का अवसर मिलना चाहिए।

यह कदम भारत सरकार की आलोचना करने वाले विदेश में बसे भारतीयों के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई का हिस्सा माना जा रहा है। इससे पहले, लेखक आतिश तासीर और अन्य आलोचकों के OCI कार्ड भी रद्द किए गए थे।

प्रोफेसर निताशा कौल का OCI कार्ड रद्द करना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और अंतरराष्ट्रीय आलोचना के प्रति भारत सरकार की बढ़ती असहिष्णुता को दर्शाता है। यह कदम लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

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