इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सभी सेक्युलर राजनीतिक पार्टियों और संसद के सदस्यों से अपील की है कि वे वक्फ संशोधन बिल का कड़ा विरोध करें और इसके समर्थन में कोई भी वोट न दें। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यह बिल देश के संविधान के खिलाफ है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों को अवैध रूप से कब्जे में लेना है।
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने संसद के सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि वे कल संसद में पेश होने वाले वक्फ संशोधन बिल का विरोध करें और इसके खिलाफ अपने वोट का इस्तेमाल करें। उनका कहना था कि इस बिल का उद्देश्य केवल वक्फ संपत्तियों को कमजोर करना और उन्हें सरकारी या गैर-सरकारी कब्जे में देना है।
उन्होंने आगे कहा कि वक्फ कानून में संशोधन जैसे वक्फ बाई यूज़र का खात्मा, लिमिटेशन से छूट का समाप्त होना, वक्फ बोर्ड और सेंट्रल वक्फ काउंसिल में गैर-मुस्लिम सदस्य की भागीदारी, और वक्फ ट्रिब्यूनल के अधिकारों में कमी ऐसी संशोधन हैं, जो वक्फ संपत्तियों के संरक्षण को समाप्त कर देंगे।
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा कि यदि यह संशोधन बिल पारित हो जाता है, तो वक्फ संपत्तियों पर सरकारी और गैर-सरकारी दावों की बाढ़ आ जाएगी, और कलेक्टर या डीएम के माध्यम से इन संपत्तियों पर कब्जा करना आसान हो जाएगा।
उन्होंने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि यह बिल सिर्फ मुस्लिमों की वक्फ संपत्तियों को ही निशाना बनाता है, जो भेदभाव और अन्यायपूर्ण है। इसके अलावा, उन्होंने भारतीय समाज की साम्प्रदायिक सद्भावना को नष्ट करने की साजिश का आरोप भी बीजेपी पर लगाया।
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपनी अपील में और कहा कि भारत में विभिन्न धर्मों की वक्फ संपत्तियों को समान संरक्षण प्राप्त है, और मुस्लिमों की वक्फ संपत्तियों को निशाना बनाना एक अन्यायपूर्ण कदम है।
अंत में, बोर्ड के अध्यक्ष ने संसद के सदस्यों से उम्मीद जताई कि वे इस बिल को असफल बनाने के लिए अपना सक्रिय योगदान देंगे, ताकि देश में साम्प्रदायिक सद्भाव और शांति बनी रहे।