पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ कश्मीर में उभरा जनाक्रोश: अखबारों ने छापा काला पन्ना, मस्जिदों से हुआ एलान, घाटी में निकले कैंडल मार्च

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद घाटी में जनाक्रोश की लहर दौड़ गई है। इस हमले में 26 लोगों की मौत हुई, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल हैं, जबकि 17 अन्य घायल हुए हैं। हमले की जिम्मेदारी ‘कश्मीर रेजिस्टेंस’ नामक एक कम-ज्ञात आतंकी संगठन ने ली है, जिसने पीड़ितों पर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों से संबंध होने का आरोप लगाया है।

घाटी में विरोध और एकजुटता

हमले के बाद कश्मीर के विभिन्न जिलों में नागरिकों ने कैंडल मार्च निकालकर शांति और एकता का संदेश दिया। बारामुला, अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम, कुपवाड़ा और शोपियां जैसे जिलों में लोगों ने मोमबत्तियाँ जलाकर मृतकों को श्रद्धांजलि दी और आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाई।

मस्जिदों से हुआ एलान

दक्षिण कश्मीर के कई मस्जिदों से एलान किया गया कि “जो लोग इस प्रकार की हिंसा को अंजाम देते हैं, वे न इस्लाम के साथी हैं और न ही कश्मीर की तहज़ीब के।” स्थानीय इमामों और धार्मिक नेताओं ने हमलावरों को मानवता और कश्मीरियत का दुश्मन बताया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की।

मीडिया का मौन विरोध

कश्मीर के कई प्रमुख अखबारों ने हमले के विरोध में अपने पहले पन्ने को काले रंग में छापा, जो इस घटना के प्रति मीडिया और आम जनमानस की संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह कदम आतंक के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध के रूप में देखा जा रहा है।

*राजनीतिक प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने अपनी सऊदी अरब यात्रा को बीच में ही छोड़कर दिल्ली लौटकर उच्च स्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई। गृह मंत्री अमित शाह ने भी हमले की निंदा करते हुए कहा कि “दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस, जो उस समय भारत दौरे पर थे, ने भी हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की। पाकिस्तान ने भी हमले की निंदा की है और किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है।

पहलगाम आतंकी हमले ने कश्मीर में शांति और सद्भावना को गहरा आघात पहुँचाया है। हालांकि, घाटी में उभरे जनाक्रोश, कैंडल मार्च, मस्जिदों से हुए एलान और मीडिया के मौन विरोध ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कश्मीर के लोग आतंक और हिंसा के खिलाफ एकजुट हैं और अमन व इंसाफ़ के साथ खड़े हैं।

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