इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार की राजधानी पटना मंगलवार को उस समय दहशत की गिरफ्त में आ गई जब बुद्धा कॉलोनी थाना क्षेत्र स्थित भीड़भाड़ वाले सिटी सेंटर मॉल से खबर आई कि मॉल में आतंकवादियों ने हमला कर दिया है। अफवाहों का बाजार गर्म हो गया — कहा गया कि कई आतंकी मॉल में घुस आए हैं, लोगों को बंधक बना लिया है और जान से मारने की धमकी दी जा रही है।
देखते ही देखते अफरा-तफरी मच गई। मॉल में मौजूद ग्राहकों और स्टाफ़ में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। लोग चीखते-चिल्लाते बाहर भागने लगे। आसपास के बाजारों में भी तनाव का माहौल फैल गया।
सूचना मिलते ही बिहार पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) और कमांडो दस्तों ने मॉल को चारों ओर से घेर लिया। हथियारबंद जवानों ने मोर्चा संभालते हुए भीतर घुसकर ‘आतंकियों’ के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
करीब ढाई घंटे तक यह ऑपरेशन चला — जिसमें ‘आतंकियों’ को घेरने, ‘बंधकों’ को छुड़ाने और पूरे परिसर को सुरक्षित करने का ड्रामा चलता रहा। इस दौरान कमांडो जवानों ने असली ऑपरेशन जैसा प्रदर्शन किया।
ढाई घंटे की सांस रोक देने वाली इस कार्रवाई के बाद खुलासा हुआ कि यह कोई असली आतंकी हमला नहीं था, बल्कि एक “मॉक ड्रिल” थी — यानी आतंकी हमले जैसी आपात स्थिति में सुरक्षा एजेंसियों की तैयारी का एक अभ्यास।
बिहार पुलिस, एसटीएफ, फायर ब्रिगेड और मेडिकल टीमों ने इस पूरे अभ्यास में हिस्सा लिया। इस ड्रिल को वास्तविकता से इतना मेल खाने वाला बनाया गया था कि कुछ जवानों ने खुद को ‘घायल’ तक दिखाया ताकि मेडिकल रिस्पॉन्स का मूल्यांकन किया जा सके।
एसडीपीओ (लॉ एंड ऑर्डर) कृष्ण मुरारी प्रसाद ने इस मॉक ड्रिल के बाद मीडिया से कहा “ऐसे अभ्यास का उद्देश्य यह है कि हम किसी भी आतंकी हमले या आपातकालीन स्थिति में तेजी से और समन्वित तरीके से कार्रवाई कर सकें। हमारी टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। यह मॉक ड्रिल पूरी तरह सफल रही।”
उन्होंने यह भी कहा कि आम लोगों को इस तरह की ड्रिल के दौरान सतर्क रहने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की जरूरत है।
यह पहली बार नहीं है जब पटना में इस तरह का मॉक ड्रिल किया गया है। इससे पहले भी पी एंड एम मॉल में इसी तरह का एंटी-टेरर अभ्यास किया गया था, जिसमें ग्राहक डर से चीखने-चिल्लाने लगे थे। लेकिन हर बार मकसद एक ही रहता है — सुरक्षा बलों की तत्परता और तालमेल की जांच।
बिहार में बढ़ते आतंकी खतरों और सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए ऐसी मॉक ड्रिल्स बेहद ज़रूरी हो गई हैं। पटना जैसे भीड़भाड़ वाले शहर में सार्वजनिक स्थलों को लेकर सुरक्षा एजेंसियाँ कोई जोखिम नहीं लेना चाहतीं।
यह मॉक ड्रिल सिर्फ एक अभ्यास नहीं, बल्कि लोगों के लिए भी एक चेतावनी है कि किसी भी अप्रत्याशित परिस्थिति में संयम, सतर्कता और प्रशासन पर भरोसा ज़रूरी है!