इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
राजधानी के गांधी मैदान में मंगलवार को बड़ी संख्या में आपदा मित्रों ने सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग थी कि उन्हें मासिक 26,910 रुपये का वेतन दिया जाए और सेवाओं को स्थायी किया जाए।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जुलाई 2023 में प्रशिक्षण और तैनाती के बाद से अब तक न तो मानदेय मिला है और न ही स्थायीकरण पर कोई फैसला हुआ है। प्रदर्शन में शामिल आपदा मित्र जितेंद्र कुमार ने कहा कि सरकार ने तैनाती के समय प्रतिदिन 800 रुपये मानदेय का वादा किया था, लेकिन आज तक एक भी रुपये का भुगतान नहीं किया गया।
आंदोलनकारियों ने विभागीय मंत्री पर झूठ बोलने और गुमराह करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि मंत्री दावा कर रहे हैं कि सभी आपदा मित्रों को मानदेय दिया जा रहा है, जबकि हकीकत इसके विपरीत है। प्रदर्शनकारियों ने इसे “बड़ा प्रशासनिक घोटाला” करार दिया।
राज्य अध्यक्ष रोशन कुमार ने कहा कि प्रदेश में करीब 9,600 से लेकर 96,000 तक आपदा मित्र कार्यरत हैं, लेकिन किसी को भी नियमित भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने मांग की कि आपदा मित्रों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए, ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले साथियों के परिवार को 20 लाख रुपये मुआवजा दिया जाए और देरी से भुगतान पर अतिरिक्त क्षतिपूर्ति भी सुनिश्चित की जाए।
रोशन कुमार ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगों पर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह केवल मानदेय की लड़ाई नहीं है, बल्कि अधिकार और सम्मान का सवाल है। आने वाले विधानसभा चुनाव में आपदा मित्र सरकार को सबक सिखाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
प्रदर्शन के दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और प्रशासन ने समझाने-बुझाने का प्रयास किया। हालांकि, आपदा मित्रों ने साफ कर दिया कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो उनका संघर्ष और आक्रामक होगा।