इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में चौथे चरण की शिक्षक भर्ती (BPSC TRE-4) को लेकर नाराज़गी चरम पर पहुंच गई है। सोमवार को हजारों अभ्यर्थी पटना कॉलेज से जुलूस की शक्ल में निकले और गांधी मैदान, जेपी गोलंबर होते हुए डाकबंगला चौराहे तक पहुंचे। आंदोलनकारी युवाओं ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए 1.20 लाख पदों पर भर्ती की मांग तेज कर दी।
प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पुराने ट्वीट्स और वादों का हवाला देते हुए नारेबाजी की। जैसे ही भीड़ डाकबंगला चौराहे की ओर बढ़ी, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए लाठीचार्ज किया और वाटर कैनन से पानी छोड़ा। इस दौरान छात्र नेता दिलीप कुमार समेत कई अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया। मौके पर धक्का-मुक्की से कई लोग घायल भी हुए।
अभ्यर्थियों का कहना है कि डोमिसाइल नीति लागू होने से पहले सरकार बार-बार 50 हजार से लेकर 1.20 लाख पदों पर भर्ती की बात करती थी। लेकिन नीति लागू होने के बाद अचानक पदों की संख्या घटाकर महज 27,910 कर दी गई। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यह बिहार के युवाओं के साथ धोखा है और अधूरी वैकेंसी स्वीकार नहीं की जाएगी।
आंदोलन के कारण बेली रोड और डाकबंगला इलाक़े में घंटों ट्रैफिक जाम रहा। पुलिस ने जेपी गोलंबर और डाकबंगला चौराहे पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा बढ़ा दी।
शिक्षा विभाग का कहना है कि भर्ती प्रक्रिया जारी है और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए पहले STET परीक्षा आयोजित की जाएगी। विभाग के अनुसार STET अक्टूबर में होगी और TRE-4 की परीक्षा दिसंबर 2025 में कराने की तैयारी है!
छात्र नेता दिलीप कुमार ने कहा, “यदि सरकार 1.20 लाख पदों पर भर्ती का वादा पूरा नहीं करती तो आंदोलन और तेज किया जाएगा। दिसंबर में परीक्षा कराने की बात सिर्फ़ बहाना है, क्योंकि उस समय चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ऐसे में लाखों अभ्यर्थी वोट का बहिष्कार करने पर मजबूर होंगे।”
विशेषज्ञों का मानना है कि TRE-4 अब केवल रोजगार का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह डोमिसाइल नीति और सरकार के भरोसे की परीक्षा बन गया है। बिहार की राजनीति में यह आंदोलन आने वाले दिनों में बड़ा असर डाल सकता है।