इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद उदित राज ने हाल ही में एक बयान में ऐतिहासिक संदर्भ में शासकों की क्रूरता पर चर्चा करते हुए पेशवा शासन के दौरान दलित समुदाय पर हुए अत्याचारों का मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि पेशवा शासन में दलित समाज के लोगों को गले में हांडी और कमर में झाड़ू बांधकर चलने के लिए मजबूर किया जाता था, जो एक क्रूरता थी।
उदित राज ने यह बयान औरंगजेब की क्रूरता पर हो रही बहस के संदर्भ में दिया। उन्होंने कहा कि किसी एक धर्म के शासक को क्रूर कहना उचित नहीं है, क्योंकि इतिहास में विभिन्न धर्मों के शासक क्रूर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हूण शासक मिहिरकुल और मंगोल शासक चंगेज खान भी अत्यंत क्रूर शासक थे।
उदित राज के इस बयान ने ऐतिहासिक तथ्यों और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर एक नई बहस को जन्म दिया है। उनका कहना है कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना उचित नहीं है और सभी शासकों की क्रूरता को समान रूप से देखा जाना चाहिए।
पेशवा शासन के दौरान दलित समुदाय के साथ हुए इस तरह के व्यवहार को उजागर करके उदित राज ने सामाजिक न्याय और समानता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को फिर से प्रदर्शित किया है। उनका यह बयान वर्तमान सामाजिक संरचना में ऐतिहासिक अन्यायों की समझ और उनकी पुनरावृत्ति को रोकने के महत्व को रेखांकित करता है।