
पटना (इंसाफ़ टाइम्स डेस्क) देश भर में मस्जिदों और दरगाहों के स्थान पर मंदिर ढूंढने को लेकर खोदो अभियान संघ परिवार के समर्थकों की तरफ़ से चल रहा है,इस बीच पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली और अधिनियम के समर्थन वाली याचिकाओं पर 17 फ़रवरी को सुनवाई होना तय पाया है
पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली पहली याचिका अश्वनी कुमार उपाध्याय की है जो कि 2020 में दायर की गई थी,अश्वनी के बाद भी कई याचिकाएं अधिनियम के खिलाफ़ दिए गए,अधिनियम के समर्थन में भी जमीयते उलमा और मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन व अन्य ने याचिकाएं दायर की ही है
सुप्रीम कोर्ट ने अधिनियम के समर्थन व विरोध में आने वाली सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के लिए 17 फ़रवरी की तारीख़ तय किया है
अब 17 फ़रवरी की सुनवाई से पहले कांग्रेस पार्टी ने भी पूजा स्थल अधिनियम के समर्थन में पीआईएल दायर कर अधिनियम के महत्व को दर्शाया है
कांग्रेस ने कहा कि “जब यह कानून पारित हुआ था उस समय पार्टी सत्ता में थी, यह कानून लोकसभा चुनाव में पहले से कांग्रेस के घोषणापत्र का हिस्सा था, कहा है कि यह कानून भारत में धर्मनिरपेक्षता को बचाने के लिए बहुत आवश्यक है, कानून को चुनौती देने वाली याचिका प्रेरित और उद्देश्यपूर्ण लगती है, कांग्रेस ने कहा है कि उसे मामले में हस्तक्षेप करने की इजाजत दी जाए ताकि वह इस कानून के संवैधानिक और सामाजिक महत्व को बता सके”
आगे कांग्रेस ने कहा कि “इस कानून में कोई भी बदलाव भारत के सामाजिक सद्भाव और धार्मिक ताने-बाने के लिए नुकसानदेह हो सकता है और राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए खतरा होगा, इसलिए वह कानून को चुनौती देने वाली याचिका का विरोध करती है”