इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को छत्तीसगढ़ पुलिस से बड़ी राहत मिली है। पुलिस ने उनके खिलाफ 2020 में किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर POCSO (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस) एक्ट के तहत दर्ज मामले को बंद कर दिया है।
जुबैर ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं!”
क्या था मामला?
मामला 2020 में किए गए एक सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ा था, जिसे लेकर उनके खिलाफ POCSO एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक रूप से काफी चर्चित रहा था।
हालांकि, इस केस को लेकर शुरुआत से ही विवाद था और इसे कई लोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे थे। अब छत्तीसगढ़ पुलिस ने जांच के बाद मामला बंद कर दिया है।
मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस खबर के सामने आते ही सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे पत्रकारों और फैक्ट चेकर्स के खिलाफ दमनकारी कार्रवाई के खत्म होने के रूप में देखा। वहीं, कई लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत बताया।
क्या कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ?
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह मामला पहले से ही कमजोर था और पुलिस के पास इसके समर्थन में कोई ठोस सबूत नहीं थे। अब केस बंद होने के बाद यह साफ हो गया है कि इसे सिर्फ ‘दबाव बनाने की रणनीति’ के तहत दर्ज किया गया था।
जुबैर पर पहले भी हो चुकी हैं कई कार्रवाइयां
मोहम्मद जुबैर इससे पहले भी कई बार निशाने पर आ चुके हैं। उन्हें 2022 में एक पुराने ट्वीट के कारण दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जिस पर भी काफी विवाद हुआ था।
क्या होगा आगे?
अब जब यह मामला बंद हो गया है, सवाल उठता है कि क्या जुबैर के खिलाफ हुई कानूनी कार्रवाई के लिए जिम्मेदार लोगों पर कोई जवाबदेही तय की जाएगी या नहीं।