इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
हाल ही में संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक के पारित होने के बाद, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े पत्रिका ‘ऑर्गनाइज़र’ में प्रकाशित एक लेख ने देश में भूमि स्वामित्व को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। लेख में दावा किया गया है कि कैथोलिक चर्च भारत में सरकार के बाद सबसे बड़ा गैर-सरकारी भूमि स्वामी है, जिसकी संपत्ति लगभग 7 करोड़ हेक्टेयर (17.29 करोड़ एकड़) है।
कैथोलिक चर्च की भूमि संपत्ति का विश्लेषण
‘ऑर्गनाइज़र’ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, कैथोलिक चर्च के पास वक्फ बोर्ड की तुलना में अधिक भूमि है। ये संपत्तियां पूरे देश में फैली हुई हैं, जिनमें चर्च, स्कूल, कॉलेज और अस्पताल शामिल हैं।
वक्फ बोर्ड की संपत्ति
दूसरी ओर, दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास 8,65,646 अचल संपत्तियां दर्ज थीं, जिनमें से 3,53,850 संपत्तियों को GIS तकनीक से मैप किया जा चुका है।
इतिहास और विवाद
कैथोलिक चर्च की भूमि का इतिहास ब्रिटिश शासनकाल से जुड़ा हुआ है। 1927 के इंडियन चर्च एक्ट के तहत चर्च को ब्रिटिश सरकार से ज़मीन प्राप्त हुई थी। समय-समय पर इन संपत्तियों के स्वामित्व और उपयोग को लेकर विवाद सामने आते रहे हैं।
शिक्षा और स्वास्थ्य में योगदान
कैथोलिक चर्च भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाता रहा है। चर्च द्वारा संचालित संस्थानों में हजारों स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और नर्सिंग होम शामिल हैं, जो समाज के विभिन्न वर्गों को सेवाएं प्रदान करते हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक की पारिती के बाद अब आरएसएस से जुड़ी संस्थाएं कैथोलिक चर्च की भूमि संपत्तियों पर सवाल उठा रही हैं। यह देखना अहम होगा कि यह बहस भारत की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था पर क्या असर डालती है – क्या इससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी, या फिर यह नया सांप्रदायिक तनाव पैदा करेगी। भूमि स्वामित्व का यह मुद्दा अब धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों की कसौटी बनता जा रहा है।