
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
झारखंड के पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की जमानत अर्जी पर 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया और उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया। वह पिछले दो और आधे वर्षों से जेल में बंद हैं, जिन पर माओवादी नेताओं से कथित संबंध रखने का आरोप है। उनके गिरफ्तारी के बाद उन्हें कई मामलों में आरोपित किया गया है,जिस पर लोगों का कहना है कि ऐसा इस लिए किया गया कि वे वर्षों तक बिना मुकदमे के जेल में बंद रहें। हाल ही में 2 मई 2023 को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उनके घर पर छापा मारा, जिसमें नए माओवादी षड्यंत्र के आरोप लगाए गए।
यह मामला गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के बावजूद, जिसमें यह कहा गया है कि जमानत नियम है और जेल अपवाद है, कोर्ट ने खुद पत्रकार रुपेश कुमार सिंह को जमानत देने में कोई साहस नहीं दिखाया। पिछले वर्ष ‘जालालुद्दीन खान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “प्रत्याशित आरोप बहुत गंभीर हो सकते हैं, लेकिन जमानत का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। अगर अदालतें न्यायसंगत मामलों में जमानत देने से इनकार करती हैं, तो यह संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों का उल्लंघन होगा।”
रुपेश कुमार सिंह झारखंड के एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो मानवाधिकारों के उल्लंघन, पर्यावरणीय विनाश, भूमि अधिग्रहण और आदिवासी समुदायों के अधिकारों के संरक्षण पर रिपोर्टिंग करते रहे हैं। उनके खिलाफ कथित आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है, और गिरफ्तारी से ठीक दो दिन पहले उन्होंने गिरिडीह जिले में औद्योगिक कचरे के कारण हो रहे स्वास्थ्य संकट को उजागर किया था।
झारखंड पुलिस और राज्य सरकार द्वारा उनके खिलाफ जमानत का विरोध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील संगठनों के लिए सवाल उठाता है। यह स्पष्ट है कि न केवल भाजपा और संघ परिवार, बल्कि विपक्षी पार्टियां भी उन व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ समान दमनकारी रणनीतियाँ अपना रही हैं जो उत्पीड़ित और शोषित समुदायों के लिए आवाज उठाते हैं।
इससे भी गंभीर सवाल यह है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की सरकार, जो आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने का दावा करती है, उसी सरकार ने उग्रवादी कानून UAPA के तहत पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जबकि वही सरकार उन कंपनियों को खुली छूट देती है जो आदिवासी भूमि पर कब्जा कर रही हैं।
कंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन(CASR) ने तत्काल पत्रकार रुपेश कुमार सिंह की रिहाई की मांग की है और उनके खिलाफ लगे सभी झूठे आरोपों को रद्द करने की अपील की है। साथ ही उन्होंने सभी प्रगतिशील संगठनों, मीडिया हाउसेस और लोकतांत्रिक व्यक्तियों से अपील की है कि वे रुपेश कुमार सिंह की रिहाई के लिए आवाज उठाएं।
CASR के तहत बयान जारी करने वाले संगठनों में AIRSO, AISA, AISF, APCR, ASA, BAPSA BBAU, BASF, BSM, Bhim Army, bsCEM, CEM, COLLECTIVE, CRPP, CSM CTF, DISSC, DSU, DTF, Forum Against Repression Telangana, Fraternity, IAPL, Innocence Network, Karnataka Janashakti, LAA, Mazdoor Adhikar Sangathan, Mazdoor Patrika, NAPM, NAZARIYA, Nishant Natya Manch, Nowruz, NTUI, People’s Watch, Rihai Manch, Samajwadi Janparishad, Smajwadi lok manch, Bahujan Samjavadi Mnach, SFI, United Peace Alliance, WSS, Y4S के नाम शामिल है