
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के संभल जिले के खग्गू सराय में मुस्लिम परिवार को अपने घर को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय प्रशासन पर आरोप है कि वह ‘सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर’ की परिक्रमा में बाधा बनने का हवाला देकर इस परिवार को घर खाली करने के लिए मजबूर कर रहा है।
मोहम्मद मतीन और उनका परिवार, जो इस इलाके में लगभग दो दशक से रह रहा है, अब अपने मकान को तोड़ने या खाली करने के दबाव में हैं। मतीन की पत्नी उज़मा परवीन का कहना है कि उनके घर का कुछ हिस्सा पहले ही तोड़ा जा चुका है, लेकिन प्रशासन अब पूरा घर गिराने की बात कर रहा है।
*मंदिर की ‘खोज’ और तनाव की शुरुआत
पिछले साल दिसंबर में जिला प्रशासन ने खग्गू सराय में एक अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान ‘सैकड़ों वर्ष पुराने’ श्री कार्तिक महादेव मंदिर (भस्म शंकर मंदिर) को ‘खोजने’ का दावा किया। प्रशासन का कहना है कि 1978 के दंगों के बाद इस इलाके से हिंदू आबादी पलायन कर गई थी, और तब से यह मंदिर बंद पड़ा था।
मंदिर ‘खोजे’ जाने के बाद, प्रशासन ने इसे पूजा-अर्चना के लिए खोल दिया। इसके बाद स्थानीय हिंदुत्ववादी संगठनों ने मंदिर में नियमित पूजा शुरू करवाई और एक पुजारी नियुक्त किया।
मंदिर के तीन ओर गलियां हैं, जबकि चौथी ओर मोहम्मद मतीन का मकान है। प्रशासन का कहना है कि मतीन का घर मंदिर की परिक्रमा में बाधा बनता है, इसलिए इसे तोड़ा जाना चाहिए।
*परिवार पर दबाव और गिरफ्तारी
उज़मा परवीन ने बताया कि पहले प्रशासन ने उनसे घर का छज्जा तोड़ने को कहा, जिसे डर के चलते तोड़ दिया गया। इसके बाद, मंदिर से सटी दीवार को गिराने की बात कही गई। जब परिवार ने इसका विरोध किया, तो मतीन को ‘शांति भंग’ के आरोप में 16 जनवरी को गिरफ्तार कर लिया गया।
“पुलिस ने मेरे पति को डराने और दबाव बनाने के लिए गिरफ्तार किया है। प्रशासन हमें मजबूर कर रहा है कि हम अपना घर तोड़ दें, लेकिन यह घर हमारे लिए सब कुछ है। इसे छोड़कर हम कहां जाएंगे?” उज़मा परवीन ने सवाल किया।
मतीन को 24 जनवरी को जमानत पर रिहा कर दिया गया, लेकिन परिवार अभी भी डरा हुआ है। उनके पास घर की खरीद और निर्माण के सारे कागजात हैं, और इस घर को गिरवी रखकर मतीन ने बैंक से कर्ज भी लिया है।
*स्थानीय प्रशासन का पक्ष
संभल की एसडीएम वंदना मिश्रा ने मतीन की गिरफ्तारी की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि मतीन श्रद्धालुओं को मंदिर जाने से रोकते थे। हालांकि, परिवार का दावा है कि यह आरोप झूठा है।
थाना नखासा के एसएचओ ने कहा कि उन्हें मतीन के परिवार को घर तोड़ने की धमकी देने की कोई जानकारी नहीं है।
*डरे हुए हैं परिवार के सदस्य
मतीन और उज़मा के तीन बच्चे हैं। उनका कहना है कि प्रशासन की धमकियों से उनकी जिंदगी मुश्किल हो गई है। “हम गरीब लोग हैं। हमारे पास यही घर है। इसे छोड़कर हम कहां जाएंगे?” उज़मा ने रोते हुए कहा।
इस मामले पर उज़मा ने न्यायिक जांच आयोग को खत लिखकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
*सवालों के घेरे में प्रशासन
स्थानीय लोग भी प्रशासन के दावों पर सवाल उठा रहे हैं। एक निवासी ने कहा, “यह मंदिर कभी कहीं गया ही नहीं था। हिंदू आबादी के पलायन के बाद मंदिर बंद हो गया था। अब इसे खोजा गया बताकर तनाव बढ़ाया जा रहा है।”
*संभल में बढ़ रहा अस्थिरता का माहौल
यह मामला ऐसे समय में आया है जब संभल पहले ही हालिया सांप्रदायिक हिंसा के चलते चर्चा में है। नवंबर 2024 में शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में पांच लोगों की जान गई थी।
संभल में धार्मिक स्थलों को लेकर विवादों और प्रशासनिक कार्रवाइयों ने अल्पसंख्यक समुदाय को गहरी चिंता में डाल दिया है।