संघर्ष संवाद करेगा राज्यव्यापी चर्चा की शुरुआत
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए अल्पसंख्यक समाज—मुसलमान, ईसाई, सिख और अन्य समुदायों—की राजनीतिक भागीदारी और उनके भविष्य को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्या उन्हें राजनीतिक दलों में उचित प्रतिनिधित्व मिल रहा है? क्या उनके मुद्दों को चुनावी घोषणापत्र में जगह दी जा रही है? क्या वे नीति-निर्माण की प्रक्रिया में प्रभावी भूमिका निभा पा रहे हैं?संघर्ष संवाद करेगा राज्यव्यापी चर्चा की शुरुआत
इन्हीं सवालों को केंद्र में रखते हुएसंघर्ष संवाद के संयोजक मुस्तकीम सिद्दीकी ने बिहार में अल्पसंख्यकों के राजनीतिक भविष्य पर व्यापक बहस की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि एक ठोस और दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जानी चाहिए, जिससे अल्पसंख्यकों की आवाज़ सत्ता के गलियारों तक मजबूती से पहुंचे।
अल्पसंख्यक समाज की वर्तमान राजनीतिक स्थिति
-राजनीतिक प्रतिनिधित्व में कमी – बिहार विधानसभा और अन्य निर्वाचित संस्थाओं में अल्पसंख्यकों की संख्या उनकी आबादी के अनुपात में कम है।
-घोषणापत्र में अनदेखी – राजनीतिक दल अक्सर अल्पसंख्यकों को वोट बैंक के रूप में देखते हैं, लेकिन उनके वास्तविक मुद्दों—शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा और सामाजिक न्याय—को ठोस नीतियों में शामिल नहीं करते।
-नई पीढ़ी के लिए अवसरों की कमी – शिक्षित और जागरूक युवा राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मुख्यधारा की पार्टियों में पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं।
-सांप्रदायिक राजनीति का प्रभाव – राज्य में सांप्रदायिक राजनीति का असर बढ़ रहा है, जिससे अल्पसंख्यकों की राजनीतिक स्थिति कमजोर हो रही है।
संघर्ष संवाद की रणनीति
संघर्ष संवाद ने अल्पसंख्यकों की राजनीतिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने की घोषणा की है:
1.राज्यव्यापी बहस की शुरुआत– बिहार के बुद्धिजीवी, राजनीतिक कार्यकर्ता, पत्रकार और युवा मिलकर अल्पसंख्यकों की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करेंगे। विभिन्न जिलों में सेमिनार, पैनल डिस्कशन और जनसंवाद आयोजित किए जाएंगे।
2.राजनीतिक दलों पर दबाव – सभी प्रमुख राजनीतिक दलों से मांग की जाएगी कि वे अपने चुनावी घोषणापत्र में अल्पसंख्यक समाज के मुद्दों को प्राथमिकता दें।
3.युवा नेतृत्व को बढ़ावा – शिक्षित और जागरूक अल्पसंख्यक युवाओं को राजनीति में सक्रिय करने के लिए प्रशिक्षण और नेतृत्व विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
4.मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग – अल्पसंख्यकों के मुद्दों और उनके राजनीतिक अधिकारों को उजागर करने के लिए डिजिटल मीडिया, समाचार पत्रों और सोशल मीडिया का प्रभावी उपयोग किया जाएगा।
5.जनजागरण अभियान – बिहार के विभिन्न जिलों में अल्पसंख्यक समाज के राजनीतिक अधिकारों और उनके सशक्तिकरण के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।
मुस्तकीम सिद्दीकी ने कहा कि “संघर्ष संवाद की यह पहल बिहार में अल्पसंख्यकों के राजनीतिक अधिकारों और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।” उन्होंने सभी समुदायों से इस अभियान का हिस्सा बनने की अपील की है।
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मुस्तकीम सिद्दीकी,संयोजक संघर्ष संवाद,संपर्क: 7501984174