इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
बिहार स्थित विश्वविख्यात बौद्ध तीर्थस्थल बोधगया को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ती जा रही है। इसी कड़ी में इंग्लैंड की राजधानी लंदन में बौद्ध अनुयायियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर ‘बोधगया को बचाओ’ का नारा बुलंद किया।
प्रदर्शनकारियों ने भारत सरकार और बिहार प्रशासन से मांग की कि बोधगया की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित किया जाए और उस पर किसी भी तरह का व्यावसायिक कब्जा या धार्मिक हस्तक्षेप रोका जाए।
बौद्ध समुदाय की चिंता
प्रदर्शन में भाग लेने वाले बौद्ध अनुयायियों का कहना था कि बोधगया न केवल बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र स्थल है, बल्कि यह पूरी मानवता के लिए शांति और ध्यान का प्रतीक है। “बोधगया महात्मा बुद्ध का ज्ञानस्थल है, और वहां की पवित्रता से समझौता पूरी दुनिया के करोड़ों बौद्धों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है,” एक प्रदर्शनकारी ने कहा।
अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग
प्रदर्शनकारियों ने यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघों से भी अपील की कि वे बोधगया की वर्तमान स्थिति पर संज्ञान लें और इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में संरक्षित करने की दिशा में ठोस कदम उठाएं।
बिहार सरकार और केंद्र को घेरा
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि हाल के वर्षों में बोधगया में धार्मिक सत्ता और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से बौद्ध अनुयायियों की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने बोधगया मंदिर प्रबंधन में पारदर्शिता और बौद्धों की भागीदारी सुनिश्चित करने की भी मांग की।
क्या है विवाद?
बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर और उससे जुड़ी कई संपत्तियों को लेकर लंबे समय से बौद्ध संगठनों और अन्य धार्मिक संगठनों के बीच विवाद चला आ रहा है। बौद्ध समुदाय का आरोप है कि उनके धार्मिक अधिकारों और सांस्कृतिक विरासत को व्यवस्थित तरीके से कमजोर किया जा रहा है।