
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गनाइज़ेशन (SIO) ने संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर की गई असंवैधानिक सिफ़ारिशों की कड़ी निंदा की है। संगठन का कहना है कि इस विधेयक से न केवल करोड़ों लोगों की भावनाओं और विचारों को ख़ारिज कर दिया गया है, बल्कि विपक्षी दलों के सुझावों को भी पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया है।
SIO ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की घोषणा पर भी आपत्ति जताई है। संगठन ने इसे मुसलमानों और उनके संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला करार दिया।
*वक़्फ़ संशोधन विधेयक पर कड़ा ऐतराज
SIO ने कहा कि वक़्फ़ संशोधन मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों की स्वायत्तता को सीधा ख़तरे में डालता है। इस विधेयक के ज़रिए सरकार को वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप करने का अधिकार मिल जाएगा, जो संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन है। ये अनुच्छेद भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं, और किसी भी धार्मिक संपत्ति के प्रबंधन में सरकार का दखल संवैधानिक मूल्यों के ख़िलाफ़ है।
*UCC को बताया धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला
संगठन ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के फैसले को भी अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला बताया। SIO का कहना है कि UCC को लागू करने की कोशिश एक सोची-समझी साज़िश है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेलना और भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक विविधता को मिटाना है।
SIO ने सरकार से वक़्फ़ संशोधन विधेयक और UCC को तुरंत वापस लेने की मांग की है। संगठन ने नागरिक समाज, धार्मिक संगठनों और राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि वे इस तानाशाही क़दम के ख़िलाफ़ एकजुट होकर आवाज़ बुलंद करें।
*हर स्तर पर होगा विरोध
SIO ने साफ किया कि इन क़दमों का विरोध हर स्तर पर किया जाएगा—शिक्षण संस्थानों से लेकर सड़कों तक। संगठन ने कहा कि अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रदर्शन भी जारी रहेंगे।
SIO ने देशभर के युवाओं से अपील की कि वे इस मुद्दे पर जागरूक रहें और भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने को बचाने के लिए एकजुट होकर आवाज़ उठाएं।