
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में 26 जनवरी को छह प्रोटेस्टेंट ईसाइयों को जबरन धर्मांतरण विरोधी कानून के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी उसी दिन हुई जब सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मामलों में जमानत देने में अधिक उदारता बरतने की सलाह दी थी।
*हिंदू संगठनों का आरोप, चर्च का इनकार
धनघटा पुलिस ने इन गिरफ्तारियों को दक्षिणपंथी हिंदू कार्यकर्ता और गोरक्षा समूह के नेता सौरभ सिंह की शिकायत पर अंजाम दिया। सिंह ने आरोप लगाया कि ईसाई धर्म प्रचारक स्थानीय लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने के लिए प्रार्थना सभाएं कर रहे थे और आर्थिक लाभ देने के साथ-साथ हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ अपमानजनक बातें कह रहे थे।
हालांकि, एक चर्च नेता, जिसने नाम न छापने की शर्त पर बात की, ने इन आरोपों को निराधार और ईसाइयों के खिलाफ एक संगठित अभियान का हिस्सा बताया।
*जनवरी में अब तक 18 ईसाई गिरफ्तार
धार्मिक उत्पीड़न मामलों पर नजर रखने वाले पादरी जॉय मैथ्यू के अनुसार, इस साल जनवरी में उत्तर प्रदेश में इसी तरह के आरोपों में कम से कम 18 ईसाइयों, जिनमें पादरी भी शामिल हैं, को जेल भेजा गया है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में राज्यभर में लगभग 100 ईसाई जेल में बंद हैं और जमानत के इंतजार में हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणीl
सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट को ऐसे मामलों में न्यायिक विवेक से काम लेने की सलाह दी। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि निचली अदालतें जमानत देने से हिचकती हैं, जिससे आरोपी को लंबी प्री-ट्रायल हिरासत झेलनी पड़ती है।
यह टिप्पणी तब आई जब अदालत ने एक मुस्लिम मौलाना सैयद शाद काजमी को जमानत दी, जो उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 के तहत लगभग एक साल से जेल में बंद थे।
*ईसाइयों पर बढ़ती कार्रवाई, यूपी बना नंबर 1 राज्य
उत्तर प्रदेश में चर्च नेताओं का कहना है कि राज्य में ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ संगठित रूप से कार्रवाई की जा रही है।
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के तहत 2024 में अब तक 209 ईसाइयों के खिलाफ धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम (UCF) के अनुसार, यह किसी भी भारतीय राज्य में दर्ज सबसे अधिक मामले हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश की 20 करोड़ की आबादी में ईसाइयों की संख्या महज 0.18% है, फिर भी उन्हें जबरन धर्मांतरण के आरोपों का बार-बार सामना करना पड़ता है।
वहीं, राज्य में मुस्लिम समुदाय की आबादी 19% है, जिनके खिलाफ भी धर्मांतरण और अन्य धार्मिक कानूनों का इस्तेमाल बढ़ा है।