इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
हरियाणा के फरीदाबाद जिले के ऐतिहासिक अनंगपुर गांव में प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में घमासान मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देकर की जा रही इस कार्रवाई के विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद चौधरी इकरा हसन ने कड़ा ऐतराज जताया है।
इकरा हसन ने कहा, “अनंगपुर में बुलडोजर कार्रवाई निंदनीय है। हमारे समाज के लोगों के घर तोड़े जा रहे हैं। मैं पूरी ताकत से उनके साथ हूं और इस अन्याय के खिलाफ बुलाई गई महापंचायत में हिस्सा लूंगी।”
दरअसल, अरावली वन क्षेत्र में बसे अनंगपुर गांव में बीते सप्ताह से वन विभाग और नगर निगम द्वारा अवैध निर्माण हटाने का अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार की जा रही है, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि उनके पुश्तैनी मकानों को बगैर नोटिस और वैकल्पिक व्यवस्था के तोड़ा जा रहा है।
अनंगपुर निवासी बड़ी संख्या में विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। ग्रामीणों ने पंचायत कर महापंचायत बुलाने का ऐलान किया है, जिसमें हजारों की संख्या में लोग जुटे। ग्रामीणों का कहना है कि उनका गांव सैकड़ों वर्षों से आबाद है और अचानक उसे ‘वन क्षेत्र’ बताकर उजाड़ना अमानवीय है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरजकुंड चौक, लक्कड़पुर, तुगलकाबाद, और मेवला महाराजपुर समेत कई गांवों से लोग अनंगपुर पहुंचे। महापंचायत में सपा सांसद इकरा हसन के अलावा कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, किसान संगठनों और सामाजिक संगठनों के नेता भी मौजूद रहे।
नेताओं ने प्रशासन पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई करने और गरीब-गुर्जर परिवारों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। महापंचायत में मांग की गई कि अनंगपुर और आसपास के पारंपरिक गांवों को ‘लाल डोरा’ क्षेत्र में शामिल किया जाए और पुनर्वास के बिना कोई घर न तोड़ा जाए।
इस बीच प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए ही कार्रवाई की जा रही है और इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं बरता जा रहा। हालांकि, ग्रामीणों और विपक्षी दलों का आरोप है कि यह कार्रवाई चुनिंदा रूप से की जा रही है और गरीब तबके को ही निशाना बनाया जा रहा है।
इकरा हसन ने इस पूरे मसले को सामाजिक न्याय और संवैधानिक अधिकारों से जोड़ते हुए कहा कि यदि जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो इस आंदोलन को राज्यभर में फैलाया जाएगा।
अनंगपुर में चल रही यह कार्रवाई अब केवल प्रशासनिक मामला नहीं रह गया, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। सभी की निगाहें अब इस पर हैं कि सरकार इस विवाद का समाधान संवाद के माध्यम से करती है या टकराव की दिशा में हालात बढ़ते हैं।