इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में Special Intensive Revision (SIR) के तहत 65 लाख मतदाताओं के नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटाए जाने पर चुनाव आयोग को सूची सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि यह सूची जिला, प्रखंड और पंचायत स्तर पर उपलब्ध होनी चाहिए तथा हर नाम के सामने हटाए जाने का कारण स्पष्ट लिखा जाए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने निर्देश दिया कि यह सूची 19 अगस्त तक जिलों की वेबसाइट पर अपलोड की जाए और मतदाता EPIC नंबर डालकर अपना नाम खोज सकें। अदालत ने यह भी कहा कि जानकारी का प्रचार अखबारों, टीवी, रेडियो, दूरदर्शन और जिला निर्वाचन अधिकारियों के सोशल मीडिया खातों के माध्यम से किया जाए।
1 सितंबर को जारी ड्राफ्ट लिस्ट में कटौती
आयोग ने 1 सितंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की थी, जिसमें 65.6 लाख नाम हटाए गए थे। इनमें 22 लाख मृत, 36 लाख स्थानांतरित/अनुपस्थित और 7 लाख डुप्लीकेट पाए गए। विपक्षी दलों ने इसे विधानसभा चुनाव से पहले लोकतंत्र पर हमला बताया है।
दावा करने का मौका
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नाम कटने से प्रभावित व्यक्ति आधार कार्ड या अन्य पहचान दस्तावेज़ के साथ दावा पेश कर सकते हैं। जिला निर्वाचन अधिकारियों से आदेश पालन की रिपोर्ट भी मांगी गई है।
अगली सुनवाई अगले शुक्रवार को होगी, जिसमें आदेश के पालन की समीक्षा की जाएगी।