इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को भारतीय सेना की जज एडवोकेट जनरल (JAG) शाखा में महिलाओं की कम भागीदारी को लेकर केंद्र सरकार से कड़ा सवाल किया। अदालत ने सेना में महिलाओं और पुरुषों के 50:50 चयन नीति पर गंभीर आपत्ति जताई।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने यह टिप्पणी सेना की JAG ब्रांच में नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की। याचिका दायर करने वाली दो महिला अभ्यर्थी अर्शनूर कौर और आस्था त्यागी ने क्रमशः चौथा और पाँचवाँ स्थान प्राप्त किया था, लेकिन महिलाओं के लिए सीमित सीटों के कारण उनका चयन नहीं हो सका।
न्यायमूर्ति दत्ता ने टिप्पणी करते हुए कहा, “जब भारतीय वायुसेना में एक महिला राफेल फाइटर जेट उड़ा सकती है, तो सेना में JAG शाखा में अधिक महिलाओं की नियुक्ति क्यों नहीं हो सकती?”
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सेना में महिलाओं के समान अवसरों को लेकर एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। इससे पहले भी महिलाओं की सेना में भागीदारी को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब शीर्ष अदालत ने इतनी कड़ी भाषा में चयन प्रक्रिया की समीक्षा की है।
सेना और केंद्र सरकार को अब इस मामले में महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने और चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए कदम उठाने की चुनौती मिली है।