“24 घंटे में नोटिस और बुलडोज़र कार्रवाई अस्वीकार्य”: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकारा

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 2021 में हुई बुलडोज़र कार्रवाई पर कड़ी नाराज़गी जताई है। अदालत ने कहा कि नोटिस देने के मात्र 24 घंटे के भीतर मकानों को ध्वस्त करना और प्रभावितों को अपील का अवसर न देना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन है।

मामले की पृष्ठभूमि

2021 में प्रयागराज में अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य निवासियों के घरों को प्रशासन ने नोटिस जारी करने के 24 घंटे के भीतर ही बुलडोज़र से गिरा दिया था। प्रभावितों को अपील करने या कानूनी उपाय अपनाने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, “नोटिस के 24 घंटे के भीतर इस तरह की कार्रवाई हमारी अंतरात्मा को झकझोरती है। अदालतें ऐसी प्रक्रियाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकतीं।”

आदेश और निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने प्रभावितों को अपने खर्च पर घरों का पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी, बशर्ते वे हलफनामा दें कि वे समय पर अपील करेंगे, जमीन पर कोई अतिरिक्त दावा नहीं करेंगे और किसी तीसरे पक्ष को शामिल नहीं करेंगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में ऐसी मनमानी कार्रवाई स्वीकार्य नहीं होगी।

यह निर्णय प्रशासनिक कार्रवाइयों में कानूनी प्रक्रियाओं के पालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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