उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा का कारवां मधुबनी पहुंचा, जागरूकता अभियान को बिहार भर में मिल रहा ज़ोरदार समर्थन

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

राष्ट्रीय शिक्षक संगठन बिहार के तत्वावधान में चलाए जा रहे उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा के अभियान का कारवां आज मधुबनी पहुंचा। यह कारवां मोहम्मद रफी और अब्दुल सलाम अंसारी के नेतृत्व में उर्दू भाषा के संरक्षण और इसे बढ़ावा देने के लिए लोगों में जागरूकता फैलाने की मुहिम पर निकला है। कारवां ने मदरसा इस्लामिया, राघव नगर, भवारा और अन्य स्थानों पर जागरूकता अभियान चलाया, जहां नेताओं ने स्थानीय लोगों को उर्दू भाषा के महत्व से अवगत कराया।

इस अभियान के दौरान लोगों में उर्दू अखबार, अभियान से संबंधित पुस्तिकाएं, स्टिकर और मोहम्मद रफी की किताब सद बर्ग की प्रतियां वितरित की गईं। मोहम्मद रफी ने इस अवसर पर कहा, “अभियान का उद्देश्य समाज के हर वर्ग तक उर्दू भाषा के महत्व को पहुंचाना और सरकार को यह संदेश देना है कि हम अपनी भाषा के संरक्षण के लिए गंभीर हैं। उर्दू भाषा केवल एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी सभ्यता, संस्कृति और पहचान का हिस्सा है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह अभियान 10 जनवरी को उर्दू दिवस के अवसर पर पटना से शुरू हुआ था और वैशाली, समस्तीपुर, दरभंगा होते हुए मधुबनी तक पहुंच चुका है। मोहम्मद रफी ने कहा, “यह कारवां आप सबकी दुआओं और समर्थन से आगे बढ़ रहा है और अपने उद्देश्यों को अवश्य प्राप्त करेगा।”

अब्दुल सलाम अंसारी ने जनता से अपील की कि उर्दू भाषा को रोजगार के साधन के रूप में अपनाना समय की मांग है। उन्होंने कहा, “उर्दू भाषा में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं, खासकर अरबी, फारसी और उर्दू के शिक्षकों की बहाली के लिए सरकार ने रिक्तियां दी हैं, लेकिन उनमें से आधे से अधिक पद खाली हैं। जनता को चाहिए कि अपनी नई पीढ़ी को उर्दू भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करें ताकि वे इन अवसरों का लाभ उठा सकें।”

अभियान के दौरान स्थानीय लोगों और उलमा ने पूर्ण सहयोग किया, जिनमें मौलाना नूर-उल-ऐन सुल्फी, मौलाना इमाम-उल-हक मदनी, मौलाना मंसूर इस्लामी, मोहम्मद अनीस-उर-रहमान, हाफिज जमाल-उल-ऐन और अन्य लोग शामिल थे। इस अवसर पर राष्ट्रीय शिक्षक संगठन के सोशल मीडिया प्रभारी नसीम अख्तर, रिज़वान-उल-इस्लाम और जमाल-उल-ऐन ने भी इस अभियान को मजबूत बनाने की अपील की।

*बिहार के विभिन्न जिलों में महसूस किया गया अभियान का असर
उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा अभियान की जागरूकता मुहिम दरभंगा, सीतामढ़ी, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर में भी बड़ी सफलता प्राप्त कर रही है। दरभंगा में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता मौलाना शौकत अली ने की। उन्होंने कहा, “यह अभियान जल्द ही बिहार में उर्दू भाषा के संरक्षण का इतिहास लिखेगा और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम करेगा।”

सीतामढ़ी में अभियान के तहत स्थानीय दुकानदारों और युवाओं में स्टिकर और पर्चे बांटे गए। समस्तीपुर में मोहम्मद रफी और अब्दुल सलाम अंसारी ने उर्दू माध्यम स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने और जनता में उर्दू भाषा के रोजगार अवसरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया।

अभियान के नेता मोहम्मद रफी ने कहा कि यह प्रयास केवल भाषा के संरक्षण तक सीमित नहीं है, बल्कि साहित्य को भी बढ़ावा देना इसका अहम हिस्सा है। उन्होंने कहा, “उर्दू भाषा को बचाने के लिए हमें अपने घरों से शुरुआत करनी होगी और अपनी नई पीढ़ी को उर्दू से जोड़ना होगा।”

*अभियान को जनता का समर्थन मिलना सुखद है
मुजफ्फरपुर में अभियान को प्रसिद्ध पत्रकार नुज़हत जहां का समर्थन प्राप्त हुआ। उन्होंने अभियान की सराहना करते हुए कहा, “उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा का यह अभियान केवल भाषा ही नहीं, बल्कि समुदाय की पहचान को बचाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस अभियान को हरसंभव समर्थन मिलना चाहिए।”

उर्दू भाषा और साहित्य की सुरक्षा का यह अभियान बिहार के विभिन्न जिलों में अपनी जड़ें मजबूत कर रहा है। मोहम्मद रफी, अब्दुल सलाम अंसारी और उनकी टीम की निरंतर कोशिशों से यह अभियान उर्दू भाषा के संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए एक मील का पत्थर साबित हो रहा है। उर्दू भाषा से प्यार करने वालों के लिए यह अभियान उम्मीद की किरण बनकर उभरा है, जो जल्द ही बिहार में उर्दू को उसका सही स्थान दिलाने में सफल होगा।

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