इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर 26% का फ्लैट टैरिफ लगाने के फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे भारत की जीडीपी में 2.50 लाख करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है और आर्थिक विकास दर में 0.1% से 0.6% तक की गिरावट संभव है।
किन सेक्टरों पर पड़ेगा असर?
फार्मास्यूटिकल्स: भारत अमेरिका को करीब 8 बिलियन डॉलर की दवाएं निर्यात करता है। टैरिफ बढ़ने से भारतीय दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता कम होगी।
टेक्सटाइल और परिधान: 9.6 बिलियन डॉलर के निर्यात वाले इस सेक्टर पर 26% टैरिफ से भारतीय वस्त्र उद्योग को नुकसान हो सकता है।
ऑटोमोबाइल पार्ट्स: 2.6 बिलियन डॉलर के निर्यात वाले इस क्षेत्र में अमेरिकी टैरिफ के कारण मांग घट सकती है।
रत्न और आभूषण: अमेरिका भारत के 30% जेम्स और ज्वेलरी निर्यात का सबसे बड़ा खरीदार है। टैरिफ बढ़ने से इस क्षेत्र में भी गिरावट आ सकती है।
भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ में 6.5 से 11.5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि से भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 0.1% से 0.6% तक की गिरावट हो सकती है। यह स्थिति निर्यातकों और उद्योग जगत के लिए चिंता का विषय बन गई है।
क्या कहती है सरकार?
भारतीय सरकार इस मुद्दे पर अमेरिका से वार्ता करने की योजना बना रही है ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अब अन्य बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
अमेरिकी टैरिफ वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। सरकार और उद्योगों को इस स्थिति से निपटने के लिए ठोस रणनीति बनानी होगी, ताकि जीडीपी की गिरावट को रोका जा सके और निर्यात पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके।