
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तराखंड के देहरादून में हिंदुत्व समूह ‘काली सेना’ के कम से कम पांच सदस्यों के खिलाफ नफरती भाषण देने और मुस्लिम किरायेदारों को निकालने व दुकानदारों पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज की गई है।
यह घटना 4 फरवरी को देहरादून के नथुवावाला इलाके में हुई, जहां कथित तौर पर 50-60 लोगों का एक समूह इकट्ठा हुआ था। यह समूह एक दिन पहले दर्ज हुए नाबालिग के यौन शोषण के मामले को लेकर प्रदर्शन कर रहा था। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के अनुसार, एफआईआर में दर्ज है कि इस समूह ने यौन शोषण के मामले को सांप्रदायिक रंग देते हुए उकसाऊ भाषण दिए और स्थानीय निवासियों को दूसरी समुदायों के किरायेदारों को निकालने और हमला करने के लिए भड़काया।
*एफआईआर में नामजद आरोपित
बालावाला चौकी प्रभारी सब-इंस्पेक्टर संजय रावत द्वारा दर्ज शिकायत में प्रमुख आरोपियों के तौर पर भूपेश जोशी, वैभव पंवार, आचार्य विपुल बांगवाल, अजय कैप्टन, और सेवानिवृत्त सेना अधिकारी राजेंद्र सिंह नेगी का नाम लिया गया है। शिकायत के अनुसार, समूह ने नथुवावाला से डोनाली क्षेत्र तक मार्च किया और “दूसरे समुदायों के स्वामित्व वाली दुकानों के साइनबोर्ड और बैनरों को तोड़फोड़ की।”
*सोशल मीडिया पर धमकियां
5 फरवरी को शाम 4:30 बजे, इस समूह ने सोशल मीडिया के जरिए डोनाली तिराहे पर एक और सभा के लिए लोगों को इकट्ठा किया। एफआईआर में कहा गया है, “उन्होंने मकान मालिकों और दुकानदारों को तुरंत अन्य समुदायों के किरायेदारों को निकालने की धमकी दी। ऐसा न करने पर सात दिनों के भीतर जबरन उन्हें बाहर निकालने की चेतावनी दी।”
*साप्ताहिक बाजार पर हमला और धमकी
उसी दिन, इस समूह ने लोअर टुनवाला में एक स्कूल के पास लगने वाले साप्ताहिक बाजार में मुस्लिम विक्रेताओं को हटने के लिए मजबूर किया। एफआईआर के अनुसार, “उन्होंने अन्य समुदायों के विक्रेताओं के साथ गाली-गलौज और मारपीट की, उन्हें भविष्य में दुकान लगाने से मना किया और वापस लौटने पर जान से मारने की धमकी दी। इसके अलावा, उकसाऊ भाषणों वाले कई वीडियो भी बनाए गए।”
*उत्तराखंड में बढ़ते सांप्रदायिक घटनाएं
यह घटना उत्तराखंड में पहली नहीं है। सितंबर 2024 में, चमोली जिले में 11 मुस्लिम दुकानों को तोड़फोड़ के बाद 300 अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। यह हिंसा तब हुई जब एक मुस्लिम व्यक्ति पर 14 वर्षीय लड़की से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था। इसी तरह, मार्च 2024 में धारचूला में एक स्थानीय व्यापार संघ ने मुस्लिम दुकानदारों को तीन दिनों के लिए अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर किया।