
इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
गुजरात जनसंहार की पीड़िता और मानवाधिकार की संघर्षशील नेता जकिया जाफरी का निधन आज हुआ। वह 2002 के गुजरात हिंसा में अपने पति, पूर्व सांसद एहसान जाफरी की हत्या के बाद से न्याय के लिए संघर्ष कर रही थीं। जकिया जाफरी ने 2006 से लगातार इस लड़ाई को जारी रखा और हमेशा उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाई।
जकिया जाफरी की मौत की सूचना मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर दी, जहाँ उन्होंने लिखा, “जकिया अप्पा, मानवाधिकार समुदाय की एक दयालु नेता, अब से 30 मिनट पहले हमें छोड़कर चली गईं।”
जकिया जाफरी का संघर्ष न केवल उनके व्यक्तिगत दुख के लिए था, बल्कि यह पूरी मानवाधिकार और न्याय के लिए एक प्रेरणा बन गया। उनकी जंग ने गुजरात जनसंहार के पीड़ितों की आवाज़ को बुलंद किया और भारत के न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया।
जकिया जाफरी का निधन एक अपूरणीय क्षति है, और उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा।