इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तराखंड में तथाकथित “अवैध” मदरसों के खिलाफ प्रशासन की सख्त कार्रवाई जारी है। हरिद्वार जिले में 12 मदरसों को बिना अनुमति के संचालन के आरोप में सील किया गया है। इस कार्रवाई के बाद राज्यभर में अब तक कुल 215 मदरसे सील किए जा चुके हैं, कहा गया इन में कई मदरसे सरकारी ज़मीन पर अवैध रूप से बने थे।
हरिद्वार में 12 मदरसे सील
हरिद्वार जिले के पथरी क्षेत्र में प्रशासन ने 7 मदरसों को सील किया है। इन मदरसों में मदरसा ईशाअतुल कुरान, जामिया फरुकिया, इस्लामिया अरबिया ईशअतुल कुरान, इस्लामिया तालीमुल कुरआन फैज़-ए-आम और गौसिया रहमानिया तालीमुल कुरआन शामिल हैं। इन मदरसों को बिना पंजीकरण और प्रशासनिक अनुमति के संचालित किया जा रहा था। इसके अलावा, रुड़की परगना में 5 अवैध मदरसों को भी सील किया गया है। इन मदरसों को पहले नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन संतोषजनक जवाब न मिलने पर प्रशासन ने सख्ती से कार्रवाई की।
राज्यभर में 215 मदरसे सील
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्यभर में अब तक 215 मदरसों को सील किया जा चुका है। इनमें से 81 मदरसे हरिद्वार जिले से हैं,। कहा गया कि इन मदरसों में से कुछ सरकारी ज़मीन पर अवैध कब्जा कर बनाए गए थे, जिन्हें ध्वस्त कर भूमि को मुक्त कराया गया है।
मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री धामी ने इस कार्रवाई का समर्थन करते हुए कहा कि बिना अनुमति के चल रहे किसी भी मदरसे को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिन मदरसों के पास पंजीकरण और मान्यता नहीं है, उन्हें तुरंत बंद किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि राज्यभर में सभी मान्यता प्राप्त मदरसों की भी जांच की जाएगी कि वे निर्धारित मानकों का पालन कर रहे हैं या नहीं।
अभिभावकों से अपील
प्रशासन ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को केवल मान्यता प्राप्त और नियमों के अनुसार चलने वाले संस्थानों में ही पढ़ाई के लिए भेजें। प्रशासन ने यह भी बताया कि जिन मदरसों को सील किया गया है, वहां की शिक्षा व्यवस्था और सुरक्षा मानकों पर सवाल उठे थे।
उत्तराखंड में मदरसों के खिलाफ प्रशासन की सख्त कार्रवाई को लेकर राज्य में हलचल है। प्रशासन का कहना है कि उनका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी और सुरक्षित बनाना है, ताकि बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल सके। हालांकि, इस कदम पर विभिन्न मुस्लिम संगठनों और समाजसेवी संस्थाओं ने सवाल उठाए हैं, जिनका कहना है कि प्रशासन को मदरसों को बंद करने से पहले उनके खिलाफ सही प्रमाण जुटाने चाहिए थे।