इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान पकड़े गए भारतीय सैनिकों की रिहाई का मामला एक बार फिर जोर पकड़ता दिख रहा है। मुजफ्फरपुर के मानवाधिकार मामलों के जाने-माने अधिवक्ता एस.के. झा ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में याचिका दायर की है। इसके साथ ही उन्होंने भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप और ठोस कार्रवाई की मांग की है।
बताया जाता है कि अधिवक्ता एस.के. झा पिछले आठ वर्षों से लगातार इन सैनिकों की रिहाई के लिए आवाज उठा रहे हैं। उन्होंने इस दौरान विभिन्न मंचों और माध्यमों से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की कोशिश की है।
भारत सरकार भी उठा रही है मामला, पर पाकिस्तान का इंकार
अधिवक्ता झा को भारत सरकार के विदेश मंत्रालय की पाकिस्तान मामलों की अवर सचिव नेहा सिंह द्वारा पहले ही पत्र के माध्यम से सूचित किया गया था कि भारत सरकार इस मुद्दे को लगातार पाकिस्तान के समक्ष राजनयिक माध्यमों से उठाती रही है। हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने अब तक अपनी हिरासत में किसी भी भारतीय सैनिक के होने की बात स्वीकार नहीं की है।
अधिवक्ता की अपील: इंसाफ मिलना चाहिए
एस.के. झा का कहना है कि यदि वास्तव में भारतीय सैनिक अभी भी पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं तो यह गंभीर मानवाधिकार हनन का मामला है। उन्होंने भारत सरकार से अपील की है कि वह इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाए और हर हाल में सैनिकों की सकुशल वापसी सुनिश्चित करे।
देशभर में जागरूकता की जरूरत
झा ने कहा कि इस मामले को लेकर देशभर में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है ताकि यह मुद्दा फिर से राष्ट्रीय बहस का हिस्सा बने और सैनिकों के परिवारों को न्याय मिल सके!