इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक़्फ़ एक्ट में संशोधनों के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दी गई ‘बत्ती बंद विरोध मुहिम’ को देशभर में ज़बरदस्त समर्थन मिला। शाम 8 बजे से 8:15 बजे तक चली इस शांतिपूर्ण प्रतिरोध में देश के मुसलमानों ने अपने घरों, दुकानों, शिक्षण संस्थानों और दफ्तरों की लाइट बंद करके अपना विरोध दर्ज कराया।
देशभर से इंसाफ़ टाइम्स को मिले तस्वीरें और वीडियो
केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश सहित तमाम राज्यों से इंसाफ़ टाइम्स को बड़ी संख्या में वीडियो और तस्वीरें प्राप्त हुईं, जिनमें लोग अपने घरों और दफ्तरों की लाइटें बंद कर बाहर खड़े नज़र आए। कई जगहों पर नारेबाज़ी भी हुई। इस विरोध में धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के लोगों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी में छात्रों का ज़ोरदार प्रदर्शन
हैदराबाद स्थित मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानू) में छात्रों ने सभी होस्टलों की लाइट बंद कर ‘नारा-ए-तकबीर’ और ‘इंकलाब ज़िंदाबाद’ के नारे लगाए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हुआ और लोगों ने इसे भरपूर सराहा।
क़ौमी क़ायदीन की भागीदारी: ओवैसी, SDPI, इमारत-ए-शरीया
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी अपने घर और कार्यालय की लाइटें बंद कर विरोध जताया और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा कीं। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के क़ौमी नेताओं ने भी इस मुहिम में हिस्सा लिया।
इसी तरह इमारत-ए-शरीया बिहार, ओडिशा और झारखंड के मुख्यालय का एक वीडियो सामने आया, जिसमें संस्था के सभी ज़िम्मेदार और कर्मचारी लाइटें बंद कर बाहर खड़े होकर विरोध जताते नज़र आए।
मुज़फ़्फ़रपुर के कटाई गांव में प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन और इमारत-ए-शरीया के मजलिसे अरबाबे-हल्लो-अकद के सदस्य मौलाना अब्दुल क़वी मीफ़्ताही साहब ने अपने नियमित कुरआन-ए-पाक की तिलावत को रोककर घर की बत्तियां बंद कर दीं और इस विरोध को इबादत का दर्जा देते हुए एक अहम पैग़ाम दिया।
मुस्लिम क़ौम की जागरूकता, सरकार को सख़्त संदेश
इस मुहिम की कामयाबी से यह बात साफ़ हो गई है कि देश की मुस्लिम क़ौम वक़्फ़ क़ानून में किसी भी ज़ुल्म या अन्यायपूर्ण बदलाव को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इस बत्ती बंद मुहिम ने मुसलमानों के हर तबके को एकजुट कर दिया है—चाहे वे आलिम हों, विद्यार्थी हों, समाजसेवी हों या राजनीतिक नेता।
यह विरोध अब केवल एक प्रतीकात्मक आंदोलन नहीं, बल्कि आने वाले दिनों में वक़्फ़ एक्ट के खिलाफ एक बड़े जनआंदोलन की भूमिका बन चुका है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की यह मुहिम क़ौमी नेतृत्व और आम मुसलमानों को एक मंच पर लाने में सफल रही है।