इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
आज़ाद मदरसा इस्लामिया ढ़ाका में “तहफ्फुज-ए-औकाफ कांफ्रेंस” का भव्य आयोजन किया गया, जिसकी सदारत बिहार,उड़ीसा,झारखंड और बंगाल के अमीरे शरीयत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने की। हज़ारों की तादाद में शिरकत करने वाले लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने वक्फ एक्ट 2025 को मुसलमानों की धार्मिक पहचान और वजूद के लिए “खतरनाक” बताया।
उन्होंने कहा “अगर इस काले कानून के खिलाफ हम आज आवाज़ नहीं उठाएंगे, तो आने वाली नस्लें हमें माफ नहीं करेंगी,
मौलाना फैसल रहमानी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि यह कानून न केवल मस्जिदों, मजारों, ख़ानक़ाहों और कब्रिस्तानों को निशाना बनाएगा, बल्कि मदरसे और अन्य धार्मिक व शैक्षणिक इदारे भी इसकी चपेट में आ जाएंगे।
उन्होंने साफ़ शब्दों में केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि “यह वक्फ एक्ट मुसलमानों को स्पेन, समरकंद और बुखारा की तरह खत्म करने की साजिश है, जिसे हम हरगिज़ कामयाब नहीं होने देंगे।” उन्होंने एलान किया कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, तब तक शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन जारी रहेगा।
कार्यक्रम का संचालन क़ाज़ी अतहर जावेद ने किया। सम्मेलन को संबोधित करने वालों में नजरूल मोबिन नदवी (इमाम व खतीब, जामे मस्जिद ढ़ाका), मौलाना अमानुल्लाह मोजाहेरी, आस मोहम्मद अंसारी, और सामाजिक कार्यकर्ता एवं पूर्व जेडीयू नेता डॉ. मो. कासिम अंसारी समेत कई गणमान्य वक्ता शामिल रहे।
डॉ. कासिम अंसारी ने कहा, “औकाफ की ज़मीनें सरकार की नहीं, हमारे बुजुर्गों की अल्लाह के नाम पर दी गई अमानतें हैं। सरकार को इन पर कंट्रोल करने का कोई हक नहीं। यह संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।”
इंजीनियर हामिद ज़फ़र ने कहा कि औकाफ कमिटी में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना एक साजिश है। “जब अन्य धर्मों के धार्मिक ढांचे में ऐसा नहीं होता, तो सिर्फ मुसलमानों के साथ ये भेदभाव क्यों?” उन्होंने सवाल उठाया।
इस अवसर पर फैसल रहमान (पूर्व विधायक ढ़ाका), एआईएमआईएम नेता राणा रंजीत सिंह, जाप नेता अभिजीत सिंह, डॉ. शमीमुल हक़ समेत कई राजनीतिक व सामाजिक नेता मौजूद रहे और वक्फ एक्ट 2025 के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करने का ऐलान किया।