इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक्फ़ एक्ट के खिलाफ़ ईमारत-ए-शरीया बिहार,ओडिशा,झारखंड व पश्चिम बंगाल और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की संयुक्त अपील पर रविवार को दरभंगा के लहेरियासराय स्थित इस्माइलगंज ईदगाह में एक ऐतिहासिक और शांतिपूर्ण विरोध सभा आयोजित की गई। इस विशाल सभा में दरभंगा शहर और आसपास के कई प्रखंडों से हज़ारों की संख्या में महिलाओं और पुरुषों ने भाग लेकर यह संदेश दिया कि मुसलमान अपने औक़ाफ़ के संरक्षण के लिए किसी भी बलिदान से पीछे नहीं हटेंगे।
अमीर-ए-शरीअत का जोशीला संबोधन: “वक्फ़ सिर्फ़ संपत्ति नहीं, हमारी तहज़ीब और पहचान की निशानी है”
सभा की अध्यक्षता मुफक्किर-ए-मिल्लत, अमीर-ए-शरीअत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी, सज्जादा नशीन ख़ानक़ाह रहमानी मुंगेर ने की। अपने ऐतिहासिक अध्यक्षीय संबोधन में उन्होंने कहा “वक्फ़ का निज़ाम इस्लाम की एक नेमत है जो सिर्फ़ मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि पूरी इंसानियत की भलाई के लिए क़ायम किया गया था। अगर हिंदुस्तान में मुसलमान वक्फ़ नहीं करते तो न मदरसे होते, न मस्जिदें, न कुएं, न सरायें, और न ही शिक्षा व स्वास्थ्य के केंद्र।”
उन्होंने आगे कहा “वक्फ़ एक्ट 2025 का उद्देश्य केवल हमारी संपत्तियों को छीनना नहीं, बल्कि हमारी सुनहरी तारीख़, पहचान, संस्कृति और तहज़ीब को मिटाना है। हम इसके खिलाफ हर स्तर पर संघर्ष करेंगे और इसकी हिफाज़त के लिए हर बलिदान को तैयार हैं।”
काज़ी-ए-शरीअत दरभंगा की अपील: “हम सब अमीर-ए-शरीअत की क़ियादत में एकजुट हैं”
कार्यक्रम का संचालन काज़ी-ए-शरीअत दरभंगा मौलाना काज़ी मोहम्मद अरशद रहमानी साहब ने किया। उन्होंने अमारत-ए-शरीअत की शरीयत व मिल्ली हैसियत पर रोशनी डालते हुए कहा: “हम सभी अमीर-ए-शरीअत की क़ियादत पर पूरा भरोसा करते हैं और जब तक ये काला क़ानून वापस नहीं लिया जाता, हम हर तरह की क़ुर्बानी देने को तैयार हैं।”
मरकज़ी क़ियादत की भागीदारी और समर्थन
अमारत-ए-शरीअत, फुलवारी शरीफ पटना से आए मौलाना अहमद हुसैन क़ासमी मदनी ने कहा “हज़रत अमीर-ए-शरीअत ने इस आंदोलन को जिस सलीके और तनज़ीम के साथ चलाया है, वो क़ाबिल-ए-रश्क है। हमें अपने अमीर की हर आवाज़ पर लब्बैक कहना चाहिए और जब तक यह काला कानून वापस नहीं होता, यह तहरीक चलती रहेगी।”
मौलाना इरफ़ान अहमद सल्फ़ी मदनी ने कहा कि हमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की क़ियादत पर पूरा भरोसा है और अमारत-ए-शरीया की इस तहरीक में हम पूरी ताक़त से शामिल हैं।
राजनीतिक व सामाजिक नेताओं की मौजूदगी: “यह केवल राज्य की नहीं, राष्ट्रीय स्तर की तहरीक है”
जमात-ए-इस्लामी दरभंगा के अमीर अहमद रज़ा ने कहा “हम शुरू से ही बोर्ड के केंद्र और बिहार में ईमारत-ए-शरीया के साथ मिलकर यह आंदोलन चला रहे हैं और तब तक चलाते रहेंगे जब तक सरकार यह कानून वापस नहीं लेती।”
मुफ्ती फ़ैज़ानुर्रहमान सुब्हानी (काज़ी-ए-शरीअत, इदारा-ए-शरीया) ने कहा “यह आंदोलन दरभंगा या बिहार तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि दिल्ली तक ले जाया जाएगा और इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाया जाएगा।”
बहुजन भागीदारी: राजनीतिक दलों और समाज का साझा मंच
इस सभा में दरभंगा की मेयर अंजुम आरा, डिप्टी मेयर नाज़िया हसन, कांग्रेस के तनवीर अनवर, भाकपा माले के अभिषेक कुमार और जन सुराज के शुएब ख़ान ने भी भाग लिया और इस काले कानून को मुस्लिम समाज के संवैधानिक अधिकारों पर हमला करार दिया।
उलेमा, वकील, शिक्षक, छात्र और आम जनता की ज़बरदस्त मौजूदगी
सभा में मौलाना अबू शाहिद क़ासमी, क़ाज़ी मोहम्मद आसिम क़ासमी, मुफ्ती नज़रुल बारी नदवी, मौलाना नूरुल हुदा क़ासमी, क़ारी नदीम अख्तर क़ासमी, मौलाना शहाबुद्दीन अजहरी, एडवोकेट मुंतज़ा आलम, डॉक्टर इफ़्तिख़ार आलम, मौलाना इजाज़ अहमद, मुफ़्ती तौहीद मजाहिरी, शबगतुल्लाह ख़ान, मौलाना फ़ारूक़ क़ासमी, मौलाना नोशाद अशाअती सहित बड़ी संख्या में उलेमा, वकील, शिक्षक, बुद्धिजीवी, महिलाएं और नौजवान शामिल हुए।
राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा गया
इस ऐतिहासिक विरोध सभा के दौरान दरभंगा प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें वक्फ़ एक्ट 2025 को तुरंत वापस लेने और अल्पसंख्यकों के धार्मिक व संवैधानिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने की मांग की गई।
कार्यक्रम का समापन दुआ और इत्तेहाद के संदेश के साथ
कार्यक्रम का समापन अमीर-ए-शरीअत हज़रत मौलाना फैसल रहमानी की दुआ पर हुआ। इस सभा को सफल बनाने में ईमारत-ए-शरीया दरभंगा के उलेमा, इमाम, क़ाज़ी, ब्लॉक ज़िम्मेदारान, बुद्धिजीवियों और नौजवानों ने अहम भूमिका निभाई। ख़ासकर रहमतुल्लाह शम्सी, आक़िफ़, साद ज़फ़र समेत कई लोगों का योगदान सराहनीय रहा।