इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद राज्य सरकार ने सुरक्षा कड़ी करते हुए एक बड़ा क्रैकडाउन शुरू कर दिया है। इस हमले में 25 भारतीय पर्यटकों और एक स्थानीय निवासी की मौत हो गई थी, जिससे कश्मीर में सुरक्षा के माहौल को लेकर चिंता और भय का वातावरण बन गया है।
कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) वी.के. बर्डी के अनुसार, अब तक 90 व्यक्तियों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि करीब 2800 अन्य को पूछताछ और निवारक हिरासत में लिया गया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि यह कार्रवाई कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में की गई है, और कहा कि यह कार्रवाई आगे भी बढ़ाया जाएगा।
हालांकि, इस अभियान का असर केवल संदिग्धों तक सीमित नहीं है। सरकार ने आतंकवादियों के परिवारों के घरों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया, जिससे कई निर्दोष परिवारों को बेघर होना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन विध्वंसों को अवैध ठहराए जाने के बावजूद, प्रशासन ने इसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम के रूप में पेश किया है।
इस आतंकवादी हमले के बाद कश्मीर में पर्यटन पर भी गहरा असर पड़ा है। कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से कई को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है, जिससे पर्यटन उद्योग में भारी गिरावट आई है। राज्य में पिछले कुछ महीनों में पर्यटन में जो उभार देखा गया था, वह अब संकट में है।
केंद्र सरकार ने पाकिस्तान पर इस हमले में शामिल होने का आरोप लगाया है, जबकि पाकिस्तान ने इन आरोपों को नकारते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और सीमा पर संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार की कार्रवाई अत्यधिक है और इससे निर्दोष परिवारों को भी भारी नुकसान हो रहा है। उनका कहना है कि आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कदम उठाना जरूरी है, लेकिन निर्दोष लोगों को सजा देना न्यायसंगत नहीं है।