इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
तुर्की द्वारा हाल ही में भारत की सैन्य कार्रवाई की आलोचना और पाकिस्तान को ड्रोन आपूर्ति से जुड़ी खबरों के बाद भारत के प्रमुख विश्वविद्यालयों ने तुर्की के साथ अपने शैक्षणिक समझौतों को रद्द करना शुरू कर दिया है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia) और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) ने इस दिशा में सख़्त कदम उठाए हैं।
JNU: राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र निलंबित हुआ MoU
JNU ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय (Inonu University) के साथ अपने अकादमिक करार (MoU) को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों से अगले आदेश तक निलंबित कर दिया है।
विश्वविद्यालय ने आधिकारिक तौर पर बयान जारी कर कहा “JNU stands with the Nation. Due to National Security considerations, the MoU with Inonu University, Türkiye stands suspended until further notice.”
JNU का यह कदम बताता है कि विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी है, बल्कि राष्ट्रहित के सवालों पर भी अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है।
Jamia Millia Islamia: सरकार और राष्ट्र के साथ
जामिया मिल्लिया इस्लामिया की जनसंपर्क अधिकारी प्रोफेसर साइमा सईद ने मीडिया को बताया कि जामिया भारत सरकार और राष्ट्र के साथ खड़ी है। हालांकि विश्वविद्यालय की ओर से MoU की स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई, लेकिन सूत्रों के अनुसार, तुर्की से चल रहे किसी भी सहयोग को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है।
MANUU Hyderabad:MoU तत्काल प्रभाव से रद्द
मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU), हैदराबाद ने सबसे स्पष्ट और औपचारिक कदम उठाया है। विश्वविद्यालय ने तुर्की के यूनुस एमरे इंस्टीट्यूट के साथ जनवरी 2024 में किया गया पांच साल का एमओयू तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
यह समझौता तुर्की भाषा में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए हुआ था, जिसके तहत एक तुर्की प्रोफेसर को भी नियुक्त किया गया था। विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि वह प्रोफेसर पहले ही अपने देश लौट चुके हैं और अब यह पाठ्यक्रम भी बंद कर दिया गया है।
MANUU के प्रभारी पीआरओ डॉ. मोहम्मद मुस्तफा अली ने कहा “यह फैसला पाकिस्तान की आतंकवादी गतिविधियों में तुर्की के समर्थन के विरोध में लिया गया है। विश्वविद्यालय राष्ट्रहित के साथ खड़ा है।”
भारत-पाक सीमा पर बढ़ते तनाव और तुर्की द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन — खासकर ड्रोन सप्लाई और भारत विरोधी बयान — के चलते भारत के शैक्षणिक जगत में भी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। यह घटनाक्रम बताता है कि अब विश्वविद्यालय भी सिर्फ अकादमिक नहीं, बल्कि कूटनीतिक और राष्ट्रीय मसलों पर भी ज़िम्मेदार भूमिका निभा रहे हैं।