इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद असम पुलिस ने सोशल मीडिया पर पाकिस्तान के समर्थन में कथित रूप से आपत्तिजनक पोस्ट और बयान साझा करने के आरोप में 58 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गिरफ्तारियां राज्य के विभिन्न जिलों से की गई हैं।
सोशल मीडिया पर की जा रही कड़ी निगरानी
राज्य पुलिस के अनुसार, सभी गिरफ्तारियां साइबर निगरानी और खुफिया रिपोर्टों के आधार पर की गई हैं। असम पुलिस ने मीडिया को बताया कि, “हम राज्य में किसी भी प्रकार की राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। सोशल मीडिया पर निगरानी और सख्त की जा रही है, और जो भी भारत के खिलाफ या आतंकवाद के समर्थन में बोलता पाया जाएगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।”
अल्पसंख्यक समुदाय में चिंता
गिरफ्तार किए गए लोगों में बड़ी संख्या युवाओं की है, जिनमें से कई छात्र और बेरोजगार हैं। इनमें अधिकतर लोग अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित हैं, जिससे उनके परिवारों और स्थानीय सामाजिक संगठनों में चिंता की लहर है। कुछ संगठनों का कहना है कि “कई लोगों को बिना पर्याप्त सबूत के गिरफ्तार किया गया है। सरकार को इस मुद्दे पर संवेदनशीलता और निष्पक्षता दिखानी चाहिए।”
मानवाधिकार संगठनों ने जताई चिंता
मानवाधिकार संगठनों और नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं ने राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन से पारदर्शी जांच और न्यायिक प्रक्रिया की मांग की है। उनका कहना है कि सोशल मीडिया की निगरानी के नाम पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन न हो।
क्या है मामला?
गौरतलब है कि 12 मई 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसमें कई लोग शहीद हुए। इस हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा फैल गया। इसके बाद असम में कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स से ऐसे पोस्ट सामने आए, जिन्हें पाकिस्तान का समर्थन करने वाला माना गया।
असम में हुई ये गिरफ्तारियां सोशल मीडिया पर निगरानी और उसकी सीमाओं पर बहस को फिर से तेज कर सकती हैं। वहीं, यह भी जरूरी है कि आतंकी हमलों के बाद देश की सुरक्षा और एकता को मजबूत रखने के लिए जिम्मेदार अभिव्यक्ति को बढ़ावा दिया जाए।