महाकुंभ भगदड़:जांच में नया मोड़!PFI के पूर्व कैडरों, CAA विरोधी आंदोलनकारियों, वामपंथी कार्यकर्ताओं सहित 10,000 लोगों पर नजर! छात्र नेताओं ने कहा “सरकार विरोधी लोगों को फंसाने की कोशिश”

इंसाफ़ टाइम्स डेस्क

प्रयागराज महाकुंभ भगदड़ मामले की जांच अब एक नई दिशा में मुड़ गई है। सुरक्षा एजेंसियां इसे महज एक हादसा मानने के बजाय एक साजिश के रूप में देख रही हैं। इस मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA), एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS), स्पेशल टास्क फोर्स (STF), और लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) जैसी एजेंसियां शामिल हैं। इन एजेंसियों के रडार पर 10,000 से ज्यादा संदिग्ध लोग हैं, जिनमें से अधिकांश PFI (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) के पूर्व कैडर, CAA और NRC विरोधी प्रदर्शनकारियों, और वामपंथी कार्यकर्ताओं के रूप में पहचाने गए हैं।

*CAA-NRC विरोधी आंदोलनकारियों की संदिग्ध गतिविधियां

कहा जा रहा है कि “जांच के दौरान, यह सामने आया कि महाकुंभ में कई ऐसे लोग शामिल थे, जिनका धार्मिक विश्वास हिंदू धर्म से नहीं था और जो CAA और NRC के खिलाफ आंदोलनों में शामिल रहे थे। एजेंसियों ने इन लोगों को महाकुंभ में आने से पहले ही चेतावनी दी थी, लेकिन इसके बावजूद कई संदिग्ध व्यक्तियों का महाकुंभ क्षेत्र में पहुंचना सामने आया। इनसे पूछताछ की जा रही है कि उन्हें वहां जाने से क्यों रोका गया था और फिर भी वे वहां क्यों पहुंचे। “

इसके अलावा, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिनके सोशल मीडिया अकाउंट पर महाकुंभ के बारे में निगेटिव कमेंट किए गए थे। इन लोगों की गतिविधियों की जांच की जा रही है, क्योंकि यह आशंका जताई जा रही है कि महाकुंभ के दौरान भगदड़ जैसी स्थिति को उकसाने के लिए उनकी साजिश हो सकती है।

*PFI के पूर्व कैडरों और वामपंथी कार्यकर्ताओं की जांच

सुरक्षा एजेंसियां PFI के पूर्व कैडरों पर भी नजर रखे हुए हैं। इसके अलावा, वामपंथी कार्यकर्ताओं और सरकार विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों पर भी कार्रवाई हो रही है।

इन संदिग्धों के मोबाइल नंबर, सोशल मीडिया अकाउंट्स और अन्य डिजिटल डेटा को खंगाला जा रहा है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन संदिग्धों को पहले ही महाकुंभ क्षेत्र जाने के लिए मना किया गया था, लेकिन इसके बावजूद उनकी गतिविधियां संदिग्ध पाई गईं।

*सोशल मीडिया और CCTV फुटेज से जांच

महाकुंभ के दौरान लगे 600 CCTV कैमरों की फुटेज की जांच की जा रही है। फेस रिकग्निशन सिस्टम और सोशल मीडिया पोस्ट्स की मदद से संदिग्धों की पहचान की जा रही है। इन सभी संदिग्धों को नोटिस जारी किए गए हैं और उनसे पूछताछ की जा रही है। इन संदिग्धों में से 30% लोग गैर हिंदू समुदाय से हैं, जिनकी गतिविधियों की जांच जारी है।

*राज्य और केंद्रीय पुलिस की समन्वय से जांच

ATS, STF और NIA ने संदिग्धों के डेटा को मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, पश्चिम बंगाल, और असम के गुवाहाटी जैसे 9 राज्यों की पुलिस को भेजा है। इसके साथ ही, पिछले छह महीनों में पकड़े गए संदिग्ध एजेंटों से भी पूछताछ की जा रही है। इन एजेंटों के बारे में जानकारी मिलने के बाद जांच का दायरा और भी बढ़ा दिया गया है।

*छात्र नेताओं का बयान: सरकार की मंशा पर सवाल

इस पूरे मामले को लेकर छात्र नेताओं और वामपंथी कार्यकर्ताओं ने सरकार पर आरोप लगाया है कि वह अपने असफलताओं को छिपाने के लिए इस मुद्दे को साजिश का रूप दे रही है और सरकार विरोधी कार्यकर्ताओं को निशाना बना रही है। उनका कहना है कि यह पूरी जांच एक राजनीतिक इशारे पर आधारित है, जिसमें सरकार अपने विरोधियों को फंसाने की कोशिश कर रही है।

महाकुंभ भगदड़ के मामले की जांच नया मोड़ ले चुकी है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश हो सकती है, जिसमें PFI के पूर्व कैडर, CAA-NRC विरोधी आंदोलनकारियों और वामपंथी कार्यकर्ताओं का हाथ हो सकता है।

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