इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को एक शर्मनाक घटना घटी, जब हिंदुत्व संगठन के कुछ सदस्यों ने मुग़ल सम्राट बहादुर शाह ज़फर की चित्रकला को नुकसान पहुँचाया। इन कार्यकर्ताओं ने इसे औरंगजेब की चित्रकला समझ लिया और स्टेशन पर लगे चित्र के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
“औरंगजेब मुर्दाबाद” के नारे लगाते हुए कार्यकर्ताओं ने किया तोड़फोड़
जानकारी के अनुसार, हिंदू रक्षा दल के सदस्यों ने ग़ाज़ीपुर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शित बहादुर शाह ज़फर की एक पेंटिंग को देखा और उसे औरंगजेब की तस्वीर समझ लिया। इसके बाद उन्होंने “औरंगजेब मुर्दाबाद” के नारे लगाए और चित्र के साथ बुरा व्यवहार किया। इस घटना के बाद आसपास के क्षेत्र में तनाव फैल गया, लेकिन समय रहते पुलिस ने मौके पर पहुँच कर स्थिति को नियंत्रित किया।
इतिहास के गलत व्याख्या से हुआ विवाद
घटना पर टिप्पणी करते हुए इतिहासकारों ने कहा कि यह चित्र बहादुर शाह ज़फर का था, जो मुग़ल साम्राज्य के अंतिम सम्राट थे और 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया था। औरंगजेब और बहादुर शाह ज़फर के बीच कोई समानता नहीं है, और यह घटना इतिहास की गलत व्याख्या का परिणाम है।
स्थानीय प्रशासन ने की कार्रवाई
स्थानीय पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं से समाज में नफरत फैलने का खतरा है और ऐसे तत्वों को कड़ी सजा दी जाएगी। साथ ही, पुलिस ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा ताकि ऐसी घटनाएं फिर से न हो सकें।
सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने की निंदा
घटना के बाद, कई सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने इस तोड़फोड़ की निंदा की है। उनका कहना था कि इतिहास के महत्वपूर्ण हिस्सों को इस तरह से तोड़ा-मरोड़ा नहीं जाना चाहिए और सभी समुदायों को आपस में शांति और सम्मान के साथ रहना चाहिए।
सवाल उठते हैं…
क्या यह घटना समाज में असहिष्णुता और नफरत को बढ़ावा देने की साजिश है?
क्या इस तरह की घटनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी?
देश को एकजुट रखने के लिए यह जरूरी है कि हम इतिहास को सही ढंग से समझें और समाज में सामूहिक सद्भाव बनाए रखें।