इंसाफ़ टाइम्स डेस्क
वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच टकराव और तेज़ हो गया है। कांग्रेस ने इस विधेयक को संविधान विरोधी करार देते हुए इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का ऐलान किया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा है कि कांग्रेस मोदी सरकार के उन सभी कदमों का विरोध करती रहेगी, जो भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों और अल्पसंख्यकों की परंपराओं पर हमला करते हैं।
जयराम रमेश ने शुक्रवार को बयान जारी कर कहा, “हम वक्फ (संशोधन) विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। यह विधेयक देश के संविधान में निहित सिद्धांतों और धार्मिक स्वतंत्रता की भावना के खिलाफ है। मोदी सरकार लगातार अल्पसंख्यक संस्थाओं और उनके अधिकारों को कमजोर करने की साजिश रच रही है।”
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ अधिनियम में संशोधन करते हुए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिन पर मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। संशोधन के तहत वक्फ बोर्ड की कुछ शक्तियों को सीमित करने, संपत्तियों के अधिग्रहण और उपयोग से जुड़ी प्रक्रियाओं को केंद्र के अधीन लाने जैसी धाराएं शामिल हैं।
मुस्लिम संगठनों ने जताई चिंता
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा-ए-हिंद और कई वक्फ संस्थानों ने इस संशोधन को मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक अधिकारों पर हमला बताया है। इन संगठनों का कहना है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को सरकारी हस्तक्षेप का शिकार बना देगा और मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी पर असर डालेगा।
सियासी मोर्चेबंदी शुरू
कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, टीएमसी और कई अन्य विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक का विरोध किया है और इसे “धार्मिक आज़ादी पर हमला” बताया है। उधर, बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए किया गया है।
अब देखना यह होगा कि कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट में किस आधार पर इस विधेयक को चुनौती देती है और न्यायालय इस पर क्या रुख अपनाता है। लेकिन इतना तय है कि वक्फ संशोधन विधेयक आने वाले समय में एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी मुद्दा बनने जा रहा है।